झारखण्ड : CM हेमन्त का मूलवासियों के पक्ष में नियुक्ति, 1932, ओबीसी आरक्षण के जुझारूपन. दूसरी तरफ उपचुनाव में विपक्ष-AIMIM के सांठ-गाँठ को जनता का नकारना, दिलचस्प.
डुमरी उपचुनाव : झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के खतियानी स्व. नेता, जगरनाथ महतो के क्षेत्र में जनता के दृष्टिकोण से उपचुनाव ने दिलचस्प मोड़ ले लिया है. झारखण्ड पीपुल्स पार्टी की टीम का आजसू सुप्रीमों से मुलाक़ात के बाद उसके उमीदवार ने नॉमिनेशन वापस ले लिया है. और सूर्य सिंह बेसरा ने अपना समर्थन AIMIM के उम्मीदवार को दे दिया है. बेसरा का कहना है कि वह तीसरा मोर्चा बनाना चाहते हैं. वहीं इंडिया गठबंधन ने जगरनाथ महतो की परछाई पर अटल विश्वास दिखाया है.
ज्ञात हो, बीजेपी के मोदी शासन में देखा जाता रहा है कि जब देश में चुनाव या उप चुनाव होता है. इडी जैसी सरकारी संस्थानों की सक्रीयता इंडिया गठबंधन के सरकारों या गैर भाजपा शासित राज्यों के विपक्ष के प्रति बढ़ जाता है. साथ ही जनाधार ना होने की बावजूद भी AIMIM चुनावी मैदान में कूद जाता है. झारखण्ड उपचुनाव में भी यह दोनों स्थितियां स्पष्ट दिख चली है. एक तरफ सीएम हेमन्त को इडी का नोटिस थमाया जा चुका है. और AIMIM का आजसू के साथ रिश्ता स्पष्ट हो चला है.
सीएम हेमन्त लड़ रहे झारखण्ड की जरुरी और निर्णायक लड़ाई
लेकिन, तमाम विपरीत परिस्थियों के बीच भी इंडिया गठबन्ध और सीएम हेमन्त सोरेन जन मोर्चा पर मजबूती से जूझ रहे हैं. सीएम एक तरफ चुनावी सभा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ राज्यके युवाओं को नियुक्ति दे रहे हैं. और झारखण्ड के खतियानी स्व. जगरनाथ महतो के 1932 आधारित स्थानीयता, एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण बढोतरी, गरीबों की क्वालिटी शिक्षा मुहैया कराने जैसे झारखण्ड के जरुरी और निर्णायक लक्ष्य को हासिल करने हेतु लड़ाई लड़ते दिख रहे हैं.
शायद यहीं वह प्रमुख कारण हो सकता है, जिसके अक्स में डुमरी की जनता ने यह कह कर कि यदि 1932 स्थानीय नितिन केवल हेमन्त सरकार में ही संभव हो सकता है. पूर्व के सरकारों में बीजेपी ने दूध पिया तो आजसू ने मलाई खाई. AIMIM बीजेपी की ‘B’ टीम कह नकार, अपनी मंशा जता दिया है कि वह इंडिया गठबंधन के साथ एक जुट हैं. हालांकि, सर्वे के अनुसार विपक्ष धनबल और केन्द्रीय सत्ता के शक्तियों के प्रभाव के आसरे एक हारी लड़ाई को लड़ने का प्रयास करते देखे जा रहे हैं.