फासीवाद के आकार के सामने हेमंत सोरेने जैसे मुख्यमंत्री का कद छोटा , फिर से मिली जान से मारने की धमकी
साल 2018, नये साल के दूसरे ही शुक्रवार, सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों ने अचानक प्रेस कांफ्रेंस कर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र को लिखा एक पत्र जारी किया. पत्र के माध्यम से कई गंभीर आरोप लगाये थे। न्यायमूर्तियों ने न्यायपालिका की संस्था को कमज़ोर करने करने के सम्बन्ध में कई सवाल उठाये थे। उनमें प्रमुख आरोप था कि वरिष्ठ जजों को दरकिनार कर व्यापक प्रभाव डालने वाले महत्वपूर्ण मुक़दमे कुछ ख़ास जजों की बेंच को ही दिये जा रहे थे। जिसमे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई के विशेष जज ब्रजमोहन लोया की संदिग्ध मौत का मामला शामिल था।
यह मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि 15 जनवरी को अचानक विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया अहमदाबाद से लापता हो गये. और फिर एक पार्क में बेहोशी की हालत में पाये गये। अगले दिन तोगड़िया प्रेस के सामने टसुए बहाते हुए बताया कि उनको फ़र्ज़ी एन्काउण्टर में मारने की साज़िश की जा रही है।
फासीवाद की ताक़त की सच्चाई तोगड़िया जानते हैं
गुजरात में इशरत जहाँ से लेकर दर्जनों लोगों की हत्याओं का सच्चाई जानने वाले तोगड़िया का डरना स्वाभाविक था. क्योंकि ऊपर बैठे ताक़तवर लोगों का दिशानिर्देशन में चलने वाले खेल से वह अच्छी तरह वाक़िफ़ है। काम निकलने के बाद सड़क किनारे फेंक दिये गये आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी, यशवन्त सिन्हा, अरुण शौरी आदि हों या निपटा दिये गये गुजरात के गृहमंत्री हरेन पाण्ड्या हों, या फिर जान बचाने की गुहार लगा रहा तोगड़िया हो – इनके हश्र में कुछ भी हैरानी की बात नहीं है।
यह फासीवाद के ख़ून में है। इनके आराध्यदेव केवल अल्पसंख्यकों के नहीं, बल्कि अपने विश्वस्त सहयोगियों और अतीत के मददगारों को भी ठिकाने लगाने में भी महारत हासिल है। तो जज लोया के डरे-सहमे कम उम्र बेटे की क्या औकात कि प्रेस कांफ्रेंस आयोजित न कहे कि पिता के मौत की जाँच की कोई ज़रूरत नहीं है। वे सभी कॉरपोरेट मंत्रालय के ऊँचे अधिकारी रहे बी.के. बंसल के हश्र से भी परिचित रहे ही होंगे जिनके पूरे परिवार ने ही आत्महत्या कर ली थी। बंसल के सुसाइड नोट में भी वाही बड़ा नाम आया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
मसलन, मौजूदा वक़्त में फासीवाद का नेटवर्क व उसकी ताक़त का पैमाना नापने के लिए ऐसे उदाहरण काफी नहीं हो सकते हैं। ऐसे में फासीवादी विचारधारा इत्तेफ़ाक न रखने वाले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बार-बार जान से मारने की धमकी ईमेल से देना कौन सी बड़ी बात हो सकती है!