गवर्निंग काउंसिल बैठक : सीएम हेमन्त का राज्य हित में पीएम से कई आग्रह 

गवर्निंग काउंसिल बैठक : कोपरेटिव फेडरलइज़्म के तहत केंद्र से सहयोग का आग्रह. सुखाड़ के लिए विशेष पैकेज का आग्रह. पीएम से आग्रह कि वह बकाया राशि भुगतान हेतु खनन कंपनियों को निर्देश दें. ऐड वलोरम को समाप्त न करने का आग्रह.  

रांची : झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने नीतिआयोग की 7वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में भाग लिया. बैठक में उन्होंने कहा कि ढाई वर्षों में राज्य ने आर्थिक, सामाजिक विकास एवं सामाजिक न्याय के क्षेत्र में कई कदम उठाये हैं. इसे और बल प्रदान करने के लिए कोपरेटिव फेडरलइज़्म की अवधारणा के तहत केंद्र सरकार का सहयोग सभी राज्यों को, विशेषकर झारखण्ड को प्राप्त हो. 

सुखाड़ जैसी विकट समस्या के लिए विशेष पैकेज का पीएम से आग्रह

मुख्यमंत्री गवर्निंग काउंसिल बैठक – झारखण्ड में करीब 30% वन भूमि क्षेत्र है. नई नियमावली में अनुसूचित जाती व पिछड़े वर्ग के हित समिलित करते हुए वन भूमि अपयोजन के लिए स्टेज-2 क्लीयरेंस के पूर्व ग्राम सभा की सहमति के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है. इसपर प्रधानमंत्री से पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया. 

सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण हर 3-4 साल में झारखण्ड को सुखाड़ का दंश झेलना पड़ता है. वर्तमान परिस्थिति में भी राज्य सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है. राज्य मे सुखाड़ से निपटने के लिए प्रधानमंत्री से  विशेष पैकेज स्वीकृत करने का आग्रह किया गया. 

धान अधिप्राप्ति को 8 लाख से अधिक बढ़ाने हेतु मांगा गया केंद्र सरकार और FCI का सहयोग

सीएम :  झारखण्ड में सिंचाए के क्षेत्र मे फसलों में विविधता लाने की दिशा में अभी तक कोई विशेष कार्य योजना पर कार्य नहीं हो सका है. हमने धान अधिप्राप्ति को 2 वर्ष में 4 से 8 लाख टन पहुँचाया है परंतु आगे बढ़ने के लिए केंद्र सरकार और FCI के विशेष सहयोग की आवश्यकता है. 

राज्य में तिलहन और दलहन उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं. लेकिन, राज्य में सिंचाई सुविधाओं का घोर अभाव है. मात्र 20% भूमि पर ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध है. सीएम ने अनुरोध किया कि झारखण्ड राज्य में लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने हेतु एक विशेष पैकेज स्वीकृत किया जाए.

ऐड वलोरम के आधार पर कोयला कंपनियां नहीं कर रही रॉयल्टी भुगतान

झारखण्ड के खनिज एवं वन संपदाओं का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. परंतु राज्य के आदिवासी और मूलवासी ने हमेशा ठगा महसूस किया है. खनिज संपदा के उत्खनन से प्राप्त आय का अधिकाधिक हिस्सा झारखण्ड जैसे राज्य को प्राप्त होना चाहिए. परंतु पिछले कुछ वर्षों में हुए नीतियों मे नीतिगत परिवर्तन जन कल्याण के ठीक विपरीत साबित हुए हैं. जैसे GST लागू होने से झारखण्ड का आर्थिक नुकसान हुआ है. और इसकी भरपाई का भी समुचित तरीके से  प्रयास नहीं किया जा सका. 

कोयला कंपनियों द्वारा ऐड वलोरम के आधार पर रॉयल्टी भुगतान नहीं किया जा रहा है. जिससे राज्य को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. ज्ञात हुआ है कि कोयला मंत्रालय द्वारा इस प्रावधान को समाप्त करने की तैयारी की जा रही है, जो झारखण्ड जैसे राज्य के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला निर्णय साबित हो सकता है. इस विषय पर भी प्रधानमंत्री से सकारात्मक पहल करने का आग्रह किया गया. 

पीएम से बकाया राशि भुगतान कराने हेतु खनन कंपनियों को निर्देश देने का आग्रह 

झारखण्ड में विभिन्न खनन कंपनियों के भू-अर्जन, रॉयल्टी आदि मद में करीब 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है। और कंपनियां इसके भुगतान में गंभीरता नहीं दिखा रही है. इस मामले में कई प्रयास भी किये गए. लेकिन फलाफल शून्य रहा है. बकाया मामले में भी प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया कि बकाया राशि भुगतान कराने हेतु वह इन खनन कंपनियों को निर्देश दें। जिससे राज्य के नागरिकों के सर्वांगीण विकास में इस राशि का उपयोग किया जा सके.

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