फासीवाद छिपे चेहरे से इंसानियत पर हमला करता है, लेकिन शिकार दलित-आदिवासी हो तो सामने से भी वार करने से नहीं चुकती

झारखंड में गुज़रे पिछली भाजपा सत्ता का इतिहास फासीवाद की आक्रामकता की पराकाष्ठा के तौर पर याद किया जाता रहेगा

झारखंड में पिछली भाजपा सत्ता का इतिहास फासीवादकी आक्रामकता की पराकाष्ठा के तौर पर याद किया जाता रहेगा. आम वर्ग हमेशा ही अपने संघर्षों से नायक पैदा करती है. झारखंड में भी ऐसा हुआ. जहाँ जनता ने भाजपा की उस निरंकुश सत्ता को उखाड फेका. और सड़कों पर संघर्ष कर अपने नायक के रूप में, मुख्यमंत्री के लिए आदिवासी नेता हेमंत सोरेन को चुना. लेकिन, जिस महाजनी प्रथा से मुक्ति के लिए, झारखंड आन्दोलन के कर्मठ सिपाही दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने अपनी हड्डियाँ गलाई. और हमें झारखंड दिलाया. वह मनुवादी व्यवस्था कैसे मान ले कि झारखंड अब उनके हाथो का खिलौना नहीं रहा.

संघी-भाजपा विचारधार सत्ता पाने के लिए साम-दाम दंड-भेद के जुगत में 

सत्ता जाते ही संघी-भाजपा विचारधार ने फिर से सत्ता पाने के लिए साम-दाम दंड भेद के सहारे जुगत में लग गयी. और असरदार चेहरों से कंगाल हो चुकी भाजपा ने, आदिवासी चेहरे के रूप में बाबूलाल मरांडी, जो उनकी विचारधारा पर नाच सकते थे, को पार्टी में शामिल किया. लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने धुन में मगन ग़रीबों के पहरुआ बन कर उभरे. जिनके फैसले में लगातार फासीवादी व्यवस्था पर चोट की. फासीवादियों को यह कैसे पच सकता था. नतीजतन, अलग-अलग ईमेल भेजकर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाने लगी. साथ में संदेश दिया गया है कि सुधर जाओ नहीं तो मार दिए जाओगे. 

हिंसा फासीवाद व्यवस्था का मुख्य हथियार 

और कुछ महीने पहले सुनियोजित तौर पर मुख्यमंत्री के काफिले पर कथित तौर पर भाजपा गुंडे द्वारा हमला हुआ. जिसमे भाजपा का पुराना सम्बन्धी भैरव सिंह मुख्य आरोपी है. जो बेल पर बाहर आ चूका है. ज्ञात हो, हिंसा को फासीवाद व्यवस्था मुख्य हथियार मानती है. उनके पास हर प्रकार का चेहरा होता है, नरम चेहरा, उग्र चेहरा, मध्यवर्ती चेहरा. जब जिस चेहरे की आवश्यकता होती है उसका प्रयोग वे करते हैं. उनके पास कोई स्थायी संविधान नहीं होता; क्योंकि, फासीवादी अवसरवादी होते हैं इसलिए वे अपने तात्कालिक राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए किसी भी हद गुजर जाते हैं.

फासीवाद पहले छिपे चेहरे से इंसानियत पर हमला करता था

अब तक ऐसा माना जाता है कि फासीवाद छिपे चेहरे से इंसानियत पर हमला करता है. लेकिन, झारखंड में पहली बार देखा गया कि यदि उसका शिकार आदिवासी-दलित हो तो वह सामने से अपराधियों प्रोत्साहित कर, हिंसा को बढ़ावा दे सकता है. और वह यह सब कारनामे उसी जमात के मौकापरस्त चेहरे से करवा सकता है. उदाहरण- कल तक भैरव सिंह से किसी तरह के सम्बन्ध होने से इनकार करने वाली भाजपा आज उस निम्न गुंडे को प्रोत्साहित करती देखी गयी. 

बाबूलाल व कई भाजपा नेताओं ने गुंडे भैरव सिंह को गले लगाया  

भाजपा कल तक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हमला करने वाले जिस आरोपी से किनारा कर लिया था. उसे बाबुलाल जी आज बुके भेंट कर रहे हैं. गले लगा रहे हैं, प्रोत्साहित कर रहे हैं. ज्ञात हो भैरव सिंह के जेल जाने के बाद बीजेपी ने साफ कहा था कि उसका भैरव सिंह से कोई नाता-रिश्ता नहीं है. लेकिन आज बाबूलाल मरांडी का भैरव सिंह को गले लगाना, साफ़ बयान करता है कि भजपा सत्ता के लिए किसी भी प्रपंच के पराकाष्ठा को पार कर सकती है. और इस फेहरिस्त केवल बाबूलाल ही नहीं कई और भाजपा भी नेता शामिल है.

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