डीवीसी का भाजपा शासित राज्यों पर अरबों बकाया, लेकिन वसूली केवल झारखंड से!

केन्द्रीय भाजपा सत्ता का आदिवासी मुख्यमंत्री के प्रति सौतेला रवैया बरकरार. डीवीसी (DVC) का भाजपा शासित राज्यों पर अरबों बकाया, लेकिन 714 करोड़ की वसूली केवल झारखंड से. फिर भी झारखण्ड के भाजपा विधायक-सांसद की चुप्पी …क्यों?

  • रघुवर सरकार का डीवीसी बकाया का 714 करोड़ रुपए केंद्र ने फिर हेमन्त सरकार से जबरन काटा 
  • केंद्र ने अपनी बकाया राशि तो ताक़त के जोर पर काट लिया, लेकिन झारखंड का जीएसटी नहीं दिया 
  • एक पक्ष के हटने से खत्म नहीं होता त्रिपक्षीय समझौता -केंद्रीय ऊर्जा सचिव 
  • त्योहारों के मौसम में सरकार कैसे करेगी राज्यकर्मियों के वेतन-पेंशन भुगतान 

रांची : केंद्र की मोदी सरकार ने दबंगई के साथ इस बार झारखण्ड में षड़यंत्रकारी नीतियों का परिचय दिया है. जो दर्शाता है उसका झारखंड से सौतेला रवैया अब और तीक्ष्ण हो चला है. जहाँ केंद्र ने झारखंड को त्रिपक्षीय समझौता से बाहर न मानते हुए, दबंगई के साथ एक बार फिर झारखंड सरकार के खाते से डीवीसी (DVC) बकाए के 714 करोड़ रुपए, आरबीआई खाते से काट लिया है. ज्ञात हो, जबकि झारखंड सरकार द्वारा बाकायदा केंद्र से इस मुश्किल घड़ी में राशि न काटने की अपील भी की गयी थी.   

यह कटौती ठीक उस समय की गयी है, जब झारखंड आर्थिक सुदृढ़ता के मद्देनजर, आत्मनिर्भरता के कश्मकश से गुजर रहा है. मसलन, मुद्दे पर झारखंड राजनीति गर्म हो चली है. क्योंकि, न केंद्र झारखंड राज्य के हिस्से का जीएसटी क्षतिपूर्ति बकाया दे रहा है और न ही केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों का बिजली बिल बकाया. लेकिन, झारखंड पर उसके ही रघुवर सरकार का बकाया जरुर लगातार काट रहा है. प्रकरण में दिलचस्प पहलू यह कि डीवीसी का भाजपा शासित राज्यों पर अरबों रुपए बकाया है, लेकिन केंद्र कटौती केवल झारखण्ड से कर रहा है. जो केन्द्रीय भाजपा सत्ता का झारखंड के प्रति घृणा की पराकाष्ठा हो सकता है. 

त्योहारों के मौसम में सरकार कैसे करेगी राज्यकर्मियों के वेतन-पेंशन भुगतान 

ज्ञात हो,  अक्टूबर 2020 में केंद्र द्वारा राज्य के खाते से 1417 करोड़ रुपए काट लिया गया था. फिर, जनवरी 2021 में आरबीआई ने 714 करोड़ की दूसरी किस्त की रूप में काट ली. इसके बाद से झारखंड सरकार हर माह 125 करोड़ रुपए, रघुवर सरकार का बकाया भुगतान करती रही है. लेकिन, इस दफा विद्वेष भावना से झारखंड के खाते से 714 करोड़ काटा जाना, राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव डाला है. विदित हो झारखंड में अगले माह से त्यौहार, विश्वकर्मा पूजा, कर्मा, दुर्गा पूजा, दीपावली व छठ पूजा का सिलसिला शुरू होगा. ऐसे में सरकार के समक्ष अब राज्यकर्मियों के वेतन-पेंशन भुगतान के लिए ओवर ड्राफ्ट लेने की नौबत आ गई है.

2017 रघुवर सरकार में हुआ करार, झारखंड ने किया था रद्द – केंद्र ने मानने से किया इनकार 

जनवरी 2021, केंद्र के भाजपा सत्ता के सौतेले रवैये से तंग आ कर झारखण्ड सरकार के कैबिनेट ने त्रिपक्षीय समझौते को रद्द किया और केंद्र सरकार को इसकी जानकारी भी दी थी. साथ ही, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और आरबीआई को पत्र लिखकर राशि न काटने का आग्रह किया था. ज्ञात हो, इस मामले में केंद्र का तब कोई वक्तव्य नहीं आया. लेकिन, वर्तमान में बकाया राशि काटने के बाद केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने कहा कि त्रिपक्षीय समझौता एक पक्ष से खत्म नहीं हो सकता है. 

झारखण्ड की पीड़ा – केंद्र ने बकाया राशि तो काट ली, मगर जीएसटी क्षतिपूर्ति नहीं दिया 

केंद्र सरकार का झारखंड के साथ भेदभाव इसी से उजागर होता है कि झारखंड त्रिपक्षीय समझौते से हट चुका है, फिर भी समझौते को न मानते हुए 714 करोड़ की कटौती कर ली. जीएसटी व कोरोना महामारी के मद्देनजर स्रोतों से राज्य की आय वसूली कम हो रही है. केंद्रीय करों और जीएसटी में राज्य को मिलने वाली हिस्सेदारी का भुगतान भी देरी से हो रहा है. साथ ही केंद्र ने न तो अबतक जीएसटी क्षतिपूर्ति बकाया दिया है और न ही केन्द्रीय उपकर्मों का बकाया बिजली बिल. JBVNL का केवल HEC पर 120 करोड़ रुपए का बकाया है. ऐसे में निकट भविष्य में राज्य के समक्ष आर्थिक परेशानी विषम हो सकती है.


मसलन, विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का तमगाधारी भाजपा की राजनीतिक सोच बड़ी की जगह अत्यंत छोटी है. लोकतंत्र के लिए अच्छी बात हो सकती थी, यदि वह स्वायत्तता का इस्तेमाल संविधान के मूल लकीरों के इर्द-गिर्द करती. लेकिन जब उसकी मंशा षड्यंत्र के उस अम्ब्रेला का हिस्सा होने का संकेत दे जहाँ वह गरीब राज्य के सपनों को रौंदे. गरीबों पर कहर ढाए. तो सवाल सांसदों के उस बड़ी जमात से जरुर होगी. जो भाजपा को झारखंड ने दिया है. मामले में उनकी चुप्पी जरुर झारखंड के जिगर पर बड़ा सवाल छोड़ रहा है. जो भविष्य में पत्रवीर की आकांक्षाओं पर ग्रहण साबित होगा.

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