शर्मनाक ! 130 करोड़ के जीवनरक्षक दवा घोटाले के आरोपी भानु प्रताप अपने समर्थकों से मुख्यमंत्री सोरेन पर करा रहे हैं अश्लील टिप्पणी

सीएम जैसे संवैधानिक पद पर खुद भी बैठ चुके बाबूलाल, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास आखिर दवा घोटाले आरोपी भानु प्रताप के करतूत पर चुप क्यों? 

रांची. राजनीति में व्यक्ति की मुख्य भावना जनसरोकर से जुड़ी होनी चाहिए. लेकिन प्रदेश बीजेपी में कई विधायक है, जो इस भावना की तिलांजलि दे, जान बचाने वाली दवाइयों के घोटाला में शामिल हैं. और खुद की काली करतूतों से जनता का ध्यान हटाने के इरादे से, वह मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर अपने समर्थकों द्वारा अश्लील टिप्पणी करवाने से नहीं चुक रहे. ये महान विधायक और कोई नहीं, 130 करोड़ के दवा घोटाले के आरोपी भानु प्रताप शाही हैं. 

ज्ञात हो, करोड़ों के घोटाले मामले में भानु प्रताप पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला दर्ज है. भानु प्रताप ने अपने एक समर्थक द्वारा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर किये टिप्पणी का वीडियो अपने ट्विटर पर भी साझा किया है. इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है कि 130 करोड़ के आरोपी अपने समर्थकों से ऐसा घिनौनी काम करवा रहे हैं. 

स्वास्थ्य मंत्री रहते किया था 130 करोड़ का घोटाला, CBI और ED ने किया है चार्जशीट फाइल

ज्ञात हो, झारखंड में मधु कोड़ा की सरकार में जब भानु प्रताप स्वास्थ्य मंत्री थे, इन पर 130 करोड़ रुपए के दवा घोटाले का आरोप लगा था. इस मामले में CBI और ED ने चार्जशीट भी फाइल कर दी है. ट्रायल भी चल रहा है. यह घोटाला नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत 2008 में हुआ था. मीडिया खबर के मुताबिक, राज्य सरकार ने एक नियम बनाया था कि सभी दवाइयां, नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के अंतर्गत आने वाली PSU से खरीदी जाएंगी. पर भानु प्रताप ने नियम का उल्लंघन किया और भारी मात्रा में दवाइयां प्राइवेट कंपनी से खरीदी. इस मामले में उन्हें 2011 में अरेस्ट भी किया गया था. हालांकि, 2013 से वो बेल पर बाहर हैं. इसके अलावा भानु प्रताप मनी लाउंड्रिग से जुड़े एक मामले में भी आरोपी हैं.

सीएम रह चुके बीजेपी के तीन बड़े नेता आखिर क्यों हैं खामोश

इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि बीजेपी के तीन बड़े नेता बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास स्वयं सीएम जैसे संवैधानिक पद पर बैठ चुके हैं. लेकिन फिर भी एक मुख्यमंत्री के खिलाफ अपने विधायक समर्थकों द्वारा कराये जा रहे गलत टिप्पणी पर खामोश है. खामोश रहकर एक तरह से इन तीनों नेताओं ने अपने विधायक का समर्थन किया है. जाहिर है इसके पीछे की मंशा ओछी राजनीति करना ही हो सकता है. हालांकि, ऐसे नेताओं से उम्मीद भी क्या की जा सकती है, जो करोड़ों के घोटाले के आरोपी को बीजेपी में शामिल कराने से परहेज नहीं करते है. 

हेमन्त भी विपक्ष में थे, पर कभी गन्दी राजनीति को बढ़ावा नहीं दिया, झारखंड पुलिस को करनी चाहिए तत्काल कार्रवाई

संवैधानिक पद पर बैठे सीएम की अपनी गरिमा होती है. हेमन्त सोरेन भी विपक्ष में थे, तब भी आरोप-प्रतिआरोप का दौर चला, लेकिन, कभी उनके द्वारा सीएम पद की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचाया गया. अपनी नैतिकता का पतन कर चुके बीजेपी नेता-विधायक द्वारा फिर एक बार गिरी मानसिकता का उदाहरण पेश किया गया है. मसलन, झारखंड पुलिस को चाहिए कि वह तत्काल विधायक समर्थक को गिरफ्तार करे व मामले की गंभीरता से जांच करें. अगर यह एक सोची समझी राजनीति का हिस्सा है, तो पीछे के आरोपी पर कड़ी कार्रवाई करें.

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