दिशोम गुरु पोषण वाटिका योजना समेत चार प्रमुख योजनाएं -जिसके सहारे झारखण्ड में कुपोषण मुक्ति का हो रहा जोरदार प्रयास

हेमन्त सरकार में कुपोषण व एनीमिया के खिलाफ महाअभियान, दिशोम गुरु पोषण वाटिका योजना  के रूप में कई योजनाएं झारखण्ड के धरातल पर सक्रिय 

रांची. जेएमएम कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन ने विपक्ष में रहते झारखण्ड को कुपोषण मुक्त राज्य बनाने का सपना देखा था. उनके मुताबिक कुपोषित समाज कभी समृद्ध समाज की ओर नहीं बढ़ सकता. उन्होंने कहा था कि 5 सालों में भाजपा सरकार ने झारखंड को न सिर्फ कुपोषित और भूख से ग्रसित राज्य बनाया, बल्कि नीरो के पदचिन्हों पर चलते हुए वह झारखण्ड को बर्बाद करने पर तुले रहे.

झारखण्ड की बागडोर सँभालते ही हेमन्त सोरेन बतौर मुख्यमंत्री, राज्य को कुपोषण के अभिशाप से मुक्त कराने की दिशा में ठोस शुरुआत की. मुख्यमंत्री सोरेन ने कई मौकों पर, कई मंचों से कहा कि झारखण्ड को कुपोषण मुक्त राज्य बनाने के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध हैं. कई योजनाओं को धरातल पर उतारते हुए कुपोषण खात्मा को एक अभियान का रूप दिया. दिशोम गुरु वाटिका योजना, समर परियोजना, मोबाइल उपचार वैन सेवा, दीदी बाड़ी योजना इस फेहरिस्त में प्रमुखता से शामिल हैं. 

देश भर में सर्वाधिक 42.9% कुपोषित बच्चे झारखण्ड में 

बता दें कि राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य के 42.9% बच्चे कुपोषित हैं. यह संख्या देश भर में सर्वाधिक है. एनीमिया से झारखण्ड के 69% बच्चे और 65% महिलाएं प्रभावित हैं. तमाम परिस्थितियों के बीच हेमन्त सरकार इस दिशा में निम्नलिखित योजनाओं के माध्यम से, मजबूती से आगे बढ़ी है.

‘दिशोम गुरु पोषण वाटिका’ : 1.75 लाख परिवार समूहों को जोड़ने का प्रयास, पहले चरण में 17000 परिवार टारगेट 

कुपोषण मुक्त झारखण्ड के लिए शुरू योजनाओं में दिशोम गुरू वाटिका योजना का सकारात्मक असर देखने को मिला है. हेमन्त सरकार ‘दिशोम गुरु पोषण वाटिका’ योजना के माध्यम से जनजातीय इलाकों में पौष्टिकता पहुंचाने की कवायद शुरू की है. कल्याण विभाग-झारखण्ड सरकार के तहत झारखण्ड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी (जेटीडीएस) द्वारा यह योजना शुरू हुई है. इसमें ट्राइबल सब-प्लान जिलों के 1.75 लाख परिवार-समूहों को जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस योजना के क्रियान्वयन के लिए जेटीडीएस 29 करोड़ रुपये खर्च करेगी. प्रथम चरण में 17000 परिवारों को योजना के तहत लाभ पहुंचाया जा रहा हैं. 

‘दिशोम गुरु पोषण वाटिका’: 3150 रूपये एक लाभुक परिवार पर हो रहा खर्च

जनजातीय परिवारों, विशेषकर महिला-बच्चों को अपने घरों के आसपास पौष्टिकता से भरी हुई पत्तेदार सब्जियां, सल्फर युक्त सब्जी, फल और मौसमी फल-सब्जी उपलब्ध कराने के लिए हेमन्त सरकार ने दिशोम गुरू वाटिका योजना की शुरूआत की है. योजना के तहत जिन लाभुकों के आसपास सिंचाई की सुविधा है, वहां पौष्टिक फल-सब्जी के लिए वाटिका तैयार की जाएगी. इसके लिए 1200 गार्डेन किट दिए जाएंगे. इसमें वाटिका की घेराबंदी करने सहित जैविक खाद, जैविक कीटनाशक भी शामिल है. लाभुकों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. एक लाभुक परिवार के ऊपर 3150 रुपये खर्च किए जाएंगे.

‘समर महायोजना’ : पौष्टिक भोजन सहित मातृ-शिशु के स्वास्थ्य पर हैं विशेष जोर

कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ हेमन्त सरकार की दूसरी महत्वाकांक्षी योजना ‘समर महायोजना’ हैं. यह अभियान 1000 दिनों तक चलाया जाएगा. इसका उद्देश्य पर्याप्त और पौष्टिक भोजन प्राप्त करनेवाले बच्चों की संख्या में वृद्धि करना है. इसके साथ ही गर्भावस्था के दौरान मातृ-शिशु मृत्यु और मातृ व बाल स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को कम करना भी मुख्य उद्देश्यों में एक है. माताओं, बच्चों व किशोरियों के स्वास्थ्य में सुधार को लेकर कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ राज्य सरकार अभियान शुरू कर रही है. इसकी निगरानी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन स्वयं कर रहे हैं. 

“मोबाइल मालन्यूट्रिशन ट्रीटमेंट वैन” : झारखण्ड में अपनी तरह की पहली योजना

कुपोषण मुक्त झारखण्ड के लिए हेमन्त सरकार द्वारा “मोबाइल मालन्यूट्रिशन ट्रीटमेंट वैन” की शुरूआत की गयी है. यह योजना 2020 में चतरा से शुरू हुई है. संभवत: झारखण्ड में कुपोषण से पंजा लड़ाने के लिए यह अपनी तरह की पहली योजना है. कुपोषण के सर्वाधिक मामलों से जूझ रहे चतरा जिले के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं, जहां बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. वर्ष 2022 तक कुपोषण की समस्या को दूर करने और इसकी संख्या में 10 से 15% तक कमी दर्ज करने का लक्ष्य रख कार्य आरम्भ हुआ है. 

दीदी बाड़ी योजना : कुपोषण मुक्त करने के लिए 5 लाख परिवारों को जोड़ा जाना है

झारखंडी बहनों और बच्चों की थालियों में पोषक तत्वों से भरपूर भोजन सुनिश्चित करने के लिए दीदी बाड़ी योजना शुरू की गई है. योजना मनरेगा के तहत संचालित हैं. इसके तहत कुपोषण समाप्त करने के लिए 5 लाख परिवारों को जोड़ा जाना हैं. योजना के लाभार्थी अपने घर के आसपास की जमीन में अपने परिवार के पोषण की आवश्यकता के अनुसार 1 से 5 डिसमिल जमीन पर पोषण युक्त सब्जियों समेत अन्य फसलों का उत्पादन कर सकेंगे. इससे गरीब ग्रामीणों को पोषण युक्त भोजन की जरूरत पूरा किया जा सकेगा.

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