हेमन्त सरकार के नीतियों पर अजीम प्रेमजी, टाटा ग्रूप, डालमिया समूह जैसे देश के बड़े औद्योगिक घऱाने राज्य में निवेश कर दिखाया है नेतृत्व पर भरोसा, ऐसे शुभ समाचार वाले उद्योगपतियों की सूची लम्बी होती जा रही है…
रांची : खनिज संपदा से भरपूर, देश का औद्योगिक राज्य होने के बावजूद झारखण्ड गरीबी की संकट से जूझता रहा है. राज्य के पिछड़ेपन का एक और कारण सत्ता में काबिज राजनीतिज्ञों में इच्छाशक्ति का अभाव होना भी रहा है. पूर्व की भाजपा सरकार के पास प्रचंड बहुमत थी फिर भी उसमे झारखण्ड को औद्योगिक रूप से मजबूत करने की इच्छाशक्ति न दिखना तथ्य के प्रत्यक्ष उदाहरण है. लेकिन, अलग झारखण्ड के इतिहास में पहली बार वर्तमान हेमन्त सरकार में यह इच्छाशक्ति दिखी है. क्योंकि मौजूदा दौर में हेमन्त सरकार की नीतियां सत्यापित करती है कि सशक्त औद्योगिक झारखण्ड की दिशा में सरकार द्वारा उठाया गया हर कदम महत्वपूर्ण व दूरदर्शी हैं.
यही कारण है कि देश के कई जाने-माने उद्योगपति व औद्योगिक घराने सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व पर भरोसा जताया हैं. और झारखण्ड में पहली बार बड़े निवेश की संभावना बनती दिखी है. ऐसे उद्योगपतियों की फेहरिस्त में अजीम प्रेमजी, डालमिया समूह, रतन टाटा जैसे नाम प्रमुखता से शामिल हैं. और अब सरकार का जोर दक्षिण भारत के उद्योगपतियों को निवेश के प्रति आर्कषित करने पर है. सीएम के निर्देश के बाद उद्योग विभाग राज्य के आधारभूत संरचना, उपलब्ध श्रम बल और सरकार के सहयोग के बल पर उद्यमियों को झारखण्ड में लाने को प्रयासरत है. इसके अतिरिक्त राज्य में औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के साथ संचालन की स्वीकृति प्रदान करने की प्रक्रिया पर भी जोर-शोर से काम चल रही है.
अजीम प्रेमजी ने खुद कहा है कि झारखण्ड पूर्वोत्तर में निवेश के लिए सबसे उपर्युक्त स्थान
ज्ञात हो, देश के प्रसिद्ध उद्योगपति अजीम प्रेमजी ने 25 नवंबर को सीएम हेमन्त सोरेन से बातचीत कर झारखण्ड में निवेश करने की इच्छा जतायी थी. हेमन्त सोरेन की नीतियों की सराहना करते हुए अजीम प्रेमजी ने कहा था कि पूर्वोत्तर के राज्यों में झारखण्ड निवेश के लिए एक सही जगह है. शिक्षा के लिए अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, स्वास्थ्य के लिए स्टेट ऑफ द आर्ट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, रोजगार के लिए आईटी पार्क के अलावा जीविका से जुड़ी कई कार्य योजनाओं की शुरूआत की की इच्छा उन्होंने ने सीएम से बातचीत के दौरान जताया था.
टाटा समूह 3000 करोड़ का करेगी निवेश, हेमन्त ने कहा, झारखण्ड का परिवार है टाटा कंपनीef0000
28 अगस्त 2021, झारखण्ड औद्योगिक एवं निवेश संवर्द्धन नीति (जेआईआईपीपी) के लॉन्च के मौके पर देश की सबसे बड़ी स्टील कंपनियों में से एक टाटा स्टील ने बड़ी घोषणा की थी. कंपनी के हवाले से कहा गया कि वह अगले तीन साल के दौरान क्षमता विस्तार के लिए झारखण्ड में 3,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी. स्टील के उपाध्यक्ष (कॉरपोरेट सेवाएं) चाणक्य चौधरी ने कहा कि टाटा स्टील की योजना राज्य में अगले तीन साल में 3,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की है. उपाध्यक्ष महोदय ने यह भी कहा कि टाटा स्टील झारखण्ड में 114 साल से है, यह इस इस्पात कंपनी का घर है. इस पर सीएम ने भी कहा था कि टाटा परिवार झारखण्ड परिवार का हिस्सा हैं. उनकी सरकार चाहती है कि यह परिवार और आगे बढ़े.
सीमेंट उत्पादन के लिए डालमिया का 567 करोड़ का निवेश, आधुनिक पावर, सेल और प्रेम रबर भी लिस्ट में
28 अगस्त को ही दिल्ली में आयोजित इनवेस्टर्स मीट में, सीएम हेमन्त सोरेन की उपस्थित में कई औद्योगिक समूहों द्वारा राज्य सरकार के साथ करीब 10,000 करोड़ के निवेश समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया था. इसमें डालमिया भारत ग्रुप 758 करोड़, आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेस 1900 करोड़, सेल (स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड) द्वारा गुवा माइंस में अगले तीन वर्ष में 4000 करोड़ तथा प्रेम रबर वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड 50 करोड़ का निवेश शामिल हैं.
महज 100 दिन में इन निवेशों का असर भी दिखने शुरू हुआ. 7 दिसम्बर को बोकारो के बालीडीह में डालमिया भारत के सीमेंट प्लांट के विस्तारीकरण का शिलान्यास स्वयं सीएम ने किया. बोकारो में डालमिया भारत के संयंत्र की उत्पादन क्षमता 3.7 मिलियन टन प्रति वर्ष है. विस्तारीकरण के माध्यम से 2.6 मिलियन टन उत्पादन की वृद्धि होगी. इसके बाद संयंत्र की वार्षिक उत्पादन क्षमता 6.3 मिलियन टन हो जाएगी. इसके लिए कंपनी 567 करोड़ रुपये का निवेश करेगी.
उद्योगपतियों के लिए जमीन में उद्योग स्थापित करना बाध्यता, ताकि आदिवासी-मूलवासी के जमीनों का गलत उपयोग न हो
सीएम हेमन्त नहीं चाहते हैं कि निवेश के नाम पर झारखण्ड के भोले-भाले गरीब आदिवासी-मूलवासी के साथ कोई अत्याचार हो. यहीं कारण है कि उन्होंने कहा कि, ”यदि सरकार औद्योगिक घरानों को जमीन देती है, तो उन्हें इसका उपयोग उद्योग स्थापित करने के लिए करना चाहिए. उद्योगपतियों को इसे खाली नहीं छोड़ना होगा. न ही इसके अतिक्रमण की अनुमति राज्य सरकार देगी. ऐसा इसलिए क्योंकि गरीब किसानों, जरूरतमंदों और अन्य लोगों ने विश्वास के साथ अपनी जमीनें दी हैं. उन्हें उम्मीद रहती है कि उद्योग लगने के बाद उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे और वो सशक्त हो सकेंगे”.