RSS-BJP को लोकतंत्र ने संवैधानिक अखरों पर चलने को किया विवश

लोकतंत्र की ताक़त – चरम तानाशाही के बीच भी बच्चे-बूढ़े, महिला-पुरुष, अमीर-गरीब ने स्वघोषित परमात्मा को संविधान के अक्षरों पर चलने को विवश किया.

रांची : एक आम प्रचारक से स्वयंभू बने सामंतवाद की चरम तानाशाही को बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान ने लोकतंत्र की शक्ति का परिचय कराया है. देश का लोकतंत्र इतना संतुलित है कि सामन्तवाद स्वतः अपने ही बिसात में उलझ संविधान के समक्ष दम तोड़ दिया है. संविधान की ही ताक़त है चरम तानाशाही के बीच भी बच्चे-बूढ़े, महिला-पुरुष, अमीर-गरीब स्वघोषित परमात्मा के विरुद्ध न केवल जंग छेड़ा उसे संविधान के अक्षरों पर चलने को विवश कर दिया.

बीजेपी को सीख

एक बार देश ने फिर से साबित किया है कि उसे तानाशाह पर लगाम लगाने के लिए किसी मीडिया, संस्था, अधिकारी, पदाधिकारी की जरुरत नहीं. यह विश्वगुरु बुद्ध का देश है और यह अहिंसा के आसरे अपने बल पर तानाशाही-सामंतवाद जैसे छोटे-मोटे रुकावटों पर लगाम चुटकी में लगा सकता है. सूक्ष्मता से जनादेश को देखने पर प्रतीत होता है कि जनता ने बीजेपी को गुजरात लॉबी को वापस भेजने का संकेत दे दिया है. यदि वह अब भी नहीं संभली तो आगे उनका सिया-राम ही मालिक. 

पंजाब-गुजरात समेत देश भर के दलित समुदाय ने, ओबीसी, अल्पसंख्यक ने, बुद्धिजीवियों ने, सभी वर्गों के गरीबों ने तो वहीँ देश भर के आदिवासी समुदाय ने बीजेपी-आरएसएस के बता दिया है वह उनके विकास के रास्ते सामन्ती रोड़ा ना अटकाए. साथ ही यह भी बता दिया है कि जो भी राज्य सरकारें पूरी ईमानदारी से उनके उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं, उन्हें परेशान करना बंद हो. और देश के सभी वर्गों का सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक और न्यायिक अधिकारों का संतुलन सुनिश्चित हो.

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