हेमंत सरकार की अपील को विफल बताने वाले दीपक प्रकाश को आखिर क्यों नहीं दिखती किसानों की एकजुटता

मुख्यमंत्री के दबाव को किसानों द्वारा नकारने के बयान को झारखंड राज्य किसान समन्वय संघर्ष समिति ने  किया खंडन -दीपक प्रकाश को मुँह की खानी पड़ी

दीपक प्रकाश ने कहा था,”एक भी किसान सड़क पर नहीं उतरे”, समिति ने कहा,”सत्ता के मद में अंधे हो गए हैं भाजपा नेता”

रांची। अपनी मांगों को लेकर पिछले 12 से अधिक दिनों से दिल्ली बॉर्डरों में बैठे किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वाहन किया था। भाजपा को छोड़ कमोवेश सभी राजनीतिक व व्यावसायिक संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया था। अपने किसान भाईयों के हित में इनके समर्थन का असर यह हुआ था कि बंद पूरी तरह से सफल रहा। सबसे बड़ी बात यह रही कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अपील का राज्य के किसानों ने पूरजोर तरीके से समर्थन किया। हर जिले में सभी किसानों ने बंद के दौरान अपने कामों को रोक रखा। 

कहते हैं न कि सत्ता के नशे में चूर तानाशाह सरकार को केवल वही दिखता है जो वह देखना चाहती है। इसी ka उदाहरण झारखंड प्रदेश भाजपा के नएताओं मे दिखी, जहाँ भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश को न तो राज्य के किसानों द्वारा हेमंत सरकार को दिया खुला समर्थन नजर आया, न ही उन्हें दिल्ली बॉर्डर के सड़कों पर बैठे किसानों का दर्द ही दिखा है। 

जबकि सच यह कि हेमंत सरकार के मिले इस जबरदस्त समर्थन का कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, इसे ऐसे समझ सकते है कि झारखंड राज्य किसान समन्वय संघर्ष समिति ने भाजपा नेता के बयान की कड़ी निंदा की है। समिति का कहना है कि इस विरोध का खामियाजा उनके पार्टी के सांसद व मंत्री को भुगतान होगा। 

‘कोरोना और ठंड’ की मार के बावजूद धरने में बैठे किसानों का दर्द आखिर क्यों नहीं दिखायी देता

दीपक प्रकाश का कहना है कि किसानों ने भाजपा के लाये कृषि कानून का समर्थन करते हुए बुलाये भारत बंद के आह्वान को पूरी तरह नकार दिया है। उनका कहना है कि आंदोलन में किसान बाहर है। लेकिन दीपक प्रकाश को इस तरह बयान से पहले दिल्ली के सिंघु बॉर्डर या फिर नोएडा से लगा चिल्ला् बॉर्डर के सड़कों पर बैठे हजारों किसानों का दर्द आखिर क्यों नहीं दिखायी देता है। दीपक प्रकाश को यह सोचना चाहिए कि कोरोना महामारी और भारी ठंड के बावजूद सड़कों पर धरने बैठे हजारों किसान किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हुए हैं। वे केवल अपने मांगों को पूरा करवाने के लिए संघर्षरत है। इस दौरान सभी किसान अपनी एकजुटता के साथ शांतिपूर्ण तरीकों से आंदोलनरत है। 

किसानों के बजाय भाजपा नेता को केवल अंडानी- अंबानी जैसे उद्योगपति ही दिखाई देता हैं : समिति

अब दीपक प्रकाश के दिये बयान पर निंदा करने वाले में झारखंड राज्य किसान समन्वय संघर्ष समिति भी जुड़ गया है। समिति के राज्य अध्यक्ष सुफल महतो ने कहा कि दीपक प्रकाश सत्ता के मद में अंधे हो गए हैं। उन्हें भारत बंद में एक भी किसान का दिखायी नहीं देना समझ से परे है। भाजपा नेता को किसानों के बजाय केवल अंडानी- अंबानी जैसे उद्योगपति ही दिखते हैं। अगर किसान सड़क पर नहीं उतरे, तो क्यों गृहमंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसके साथ आठवीं बार वार्ता की। प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी, तो किसानों की जमीन छिनने के लिए सीएनटी और एसपीटी तक को ही बदलने की नापाक कोशिश हुई थी। विपक्ष या सत्ता में रहने के दौरान हमेशा किसान विरोधी कानून की वकालत करने वाले सांसद और सरकार को आने वाले दिनों में किसानों के विरोध का खामियाजा भूगतना पड़ेगा।

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