Covid -19 में भाजपा नेता नीम हकीम बनाने से भी नहीं चुके, मेलों की वकालत करते हुए कई बेतुके व अप्रमाणित सुझाव दिए – और हमेशा नीम हकीम खतरा-ए-जान जान होता है
रांची. देश लगभग डेढ़ साल से कोरोना संक्रमण व उससे उत्पन्न त्रासदी झेल रहा है. देश व जनता आर्थिक-मानसिक तौर पर कमजोर हुआ है. तमाम परिस्थितियों के बीच वायरस भारतीय ग्रामीण इलाकों में अंदर तक फैल गया. लाखों की जानें लीलने के बाद भी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के रूप में लौटने को तैयार है. गैर भाजपा शासित सरकारें द्वारा अब लॉकडाउन में रियायत देने की साहासिक पहल की जा रही है. राज्य आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में भी बढ़ रहा है. लेकिन भाजपा नेता, जो जन्म से वैज्ञानिक होते हैं!, का ऐसे नाजुक दौर में गैर भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों पर धार्मिक भीड़ का बढ़ावा देने के लिए प्रेशर बनाना कोई नया मुद्दा नहीं है.
ज्ञात हो, संघ परिवार में तर्क और विज्ञान की जगह आस्था और कट्टरता ने ले ली है. केंद्र सरकार तथा भाजपा शासित राज्य सरकारों में मेलों को मिले भारी समर्थन. जिसके अक्स में नदियों में उतरते श्रद्धालु या रेत में दबाए गए शवों के बीच सीधा संबंध स्थापित होता है. साथ ही मोदी सरकार में विज्ञान के प्रति तिरस्कार की भावना वैज्ञानिक शोध संस्थानों का शिथिलीकरण से भी प्रदर्शित होता है. क्योंकि ज्ञान और नवाचार सारे बेहतरीन संस्थानों को मोदी सरकार में व्यवस्थित रूप से कमजोर किया जाना सामाजिक और आर्थिक भविष्य पर कुठाराघात के संकेत देते हैं.
आयुष मंत्रालय – कोविड-19 में प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए सुबह-शाम नाक में तिल या नारियल तेल या घी डालें
ज्ञात हो, कोविड-19 में प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ायें आयुष द्वारा विस्तृत सुझाव जारी किया था. मंत्रालय द्वारा जारी सुझावों की सूची में सुबह-शाम नाक में तिल या नारियल तेल या घी डालने को कहा गया था. यदि किसी को नाक में तिल या नारियल का तेल डालना पसंद नहीं, तो मंत्रालय ने विकल्प भी सुझाया था कि एक चम्मच तिल या नारियल का तेल मुंह में डालें, उसे गटकें नहीं, बल्कि दो-तीन मिनट तक मुंह में डालकर हिलाएं और थूक दें. फिर गरम पानी से कुल्ला करें. मंत्रालय के सुझावों में च्यवनप्राश खाना, हर्बल चाय पीना, भाप लेना आदि भी शामिल था. आयुष मंत्रालय की प्रचार सामग्री के अमल करने वाले को केवल देशभक्त करार नहीं दिया था.
पूर्व सांसद विजय संकेश्वर – नींबू का रस नाक में डालने से ऑक्सीजन का स्तर 80% बढ़ जाता है
21 वीं सदी में भी सत्ता पक्ष के नेता और प्रचारक द्वारा इस घातक बीमारी के इलाज के रूप में, अप्रमाणित इलाज की सिफारिश करने में संकोच नहीं किया गया. उत्तर प्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद विजय संकेश्वर ने ऑक्सीजन के विकल्प के रूप में नींबू का रस सूंघने की सलाह दी. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘संकेश्वर ने प्रेस मीट में कहा कि नींबू का रस नाक में डालने से ऑक्सीजन का स्तर 80 फीसदी बढ़ जाता है. उन्होंने दावा भी किया कि इस घरेलू इलाज से दो सौ लोग ठीक हो गए. इसी रिपोर्ट में बताया गया कि सलाह पर अमल करने के बाद उसके कई समर्थकों की मौत हो गई.
भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि हवन से महामारी को प्रभावी तरीके से खत्म किया जा सकता है. द टेलीग्राफ ने मंत्री को यह कहते हुए दर्ज किया, ‘हम सभी से यज्ञ करने, आहुति देने और पर्यावरण को शुद्ध करने की अपील करते हैं. ऐसा ही बेतुका दावा, गांधी के हत्यारे को सच्चा देशभक्त मानने वाली विवादास्पद सांसद ने किया. जहाँ उन्होंने खुद को कोविड से बचे रहने की वजह रोज गोमूत्र पीना बताया.
covid-19 में भाजपा नेताओं द्वारा सुझाए संदिग्ध इलाज में सरकारी संत रामदेव का कोरोनिल भी शामिल
भाजपा शासित गुजरात से भी खबर आई कि वहां साधुओं का एक समूह नियमित रूप से गोबर का लेप इसलिए लगाता है कि उसे लगता है कि इससे वे वायरस से बचे रहेंगे. भाजपा नेताओं द्वारा सुझाए संदिग्ध इलाज में एक दवा कोरोनिल भी शामिल है. जिसे सरकारी संत रामदेव ने दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी में जारी किया था.
हालांकि, आयुर्वेद, योग और होम्योपैथी जैसी गैर आधुनिक पद्धतियां अस्थमा, पीठ दर्द और मौसमी एलर्जी जैसी व्याधियों को कम करने में भूमिका निभा सकती हैं. लेकिन कोविड-19 स्पष्ट रूप से 21वीं सदी का वायरस है. इससे लोग अनभिज्ञ थे, जिन्होंने आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसी पद्धतियां विकसित की थीं. और इसका कोई प्रमाण नहीं हैं कि नीम की पत्तियां जलाने, गोमूत्र पीने, पौधों से तैयार गोलियां निगलने, शरीर में गोबर का लेपने, नारियल तेल या घी नाक में डालने से कोविड-19 के संक्रमण के इलाज में कितने कारगर है. लेकिन, वैज्ञानिक संस्थानों के मौत के बाद नीम हकीम द्वारा ऐसी ही युक्तियाँ सुझाये जा सकते हैं, देश भविष्य के लिए भी तैयार रहें.