कोल ब्लॉक नीलामी में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश

केंद्र की वाणिज्यिक खनन पर आधारित कोल ब्लॉक नीलामी में हेमंत सरकार की याचिका में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश

केंद्र की वाणिज्यिक खनन पर आधारित कोयला ब्लॉक नीलामी के खिलाफ हेमंत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके आलोक में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दे दी थी। राज्य सरकार ने अपनी याचिका में झारखंड की कोयला खदानों की नीलामी के फैसले पर सवाल उठाया है। राज्य सरकार ने केंद्र पर एकतरफ़ा फैसले लेने का आरोप लगाया है। अदालत ने केंद्र को झारखंड सरकार की याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान, पीठ ने झारखंड सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ताओं एफएस नरीमन और अभिषेक मनु सिंघवी को बताया कि वह मामले में नोटिस जारी कर रहा है। और इस पर रोक लगाने के बारे में सुनवाई करेगी।

पीठ के कहने पर कि मामले को जल्द ही सूचीबद्ध किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री नरीमन ने पीठ से आग्रह किया कि मामले की सुनवाई 18 अगस्त से पहले सूचीबद्ध की जानी चाहिए, अन्यथा नीलामी तब तक हो जाएगी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोयला ब्लॉकों की नीलामी को लेकर पक्ष 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोयला ब्लॉकों की नीलामी के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण, वन और वन-निवास समुदायों व उनके सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

झारखंड सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ याचिका दायर किया है। राज्य सरकार ने अपने सूट में दावा किया है कि कोविद -19 महामारी के दौरान नीलामी करने का केंद्र का निर्णय अनुचित है। क्योंकि यह समय इस संक्रमण से पीड़ित लोगों की परेशानियों को कम करने का है न कि बढाने का।

मुकदमा यह भी दावा करता है कि णिज्यिक खनन के लिए कोल ब्लॉक नीलामी करने के लिए केंद्र द्वारा मनमानी, एकतरफ़ा और ग़ैरक़ानूनी कार्रवाई की गई है। जो कि संघीय ढांचे पर प्रहार है। सूट में कहा गया है कि ये कोयला खानें उनके क्षेत्र में स्थित हैं और उनके स्वामित्व में हैं। जो कि पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र भी हैं। फरवरी 2020 में इस संबंध में हुई बैठकें निरर्थक हो गई हैं, साथ ही कोविद -19 महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों पर भी ध्यान नहीं दिया गया है। इसके लिए अब नए सिरे से परामर्श की आवश्यकता है।

मसलन, झारखंड की 3,29, 88,134 आबादी में से 1,60,10,448 लोग आदिवासी इलाकों में रहते हैं. और केंद्र सरकार की कार्रवाई से पर्यावरण मानकों का उल्लंघन होता है. साथ ही कोयला खदानों की नीलामी से पर्यावरण, वन और भूमि को काफी नुकसान पहुँचेगा. 

ऐसे में यह केंद्र सरकार द्वारा अपने करीबी पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए आनन-फानन में निर्णय हो सकता है. क्योंकि, कोरोना संकट के वक्त पूरी दुनिया में कोयले की मांग घट गयी है. अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा तक स्थगित है. ऐसे वक़्त में ग्लोबल टेंडर के नाम कोल ब्लॉक नीलामी का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है.

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