झारखण्ड : सैनिक व नक्सल से U टर्न लिए युवाओं के भी सीएम सोरेन ही एक मात्र उम्मीद

पोदना अपने करीबियों के साथ सीएम सोरेन से मिलअपनी व्यथा सुनवाई. पोदना के करीबी बताते हैं कि सीएम के लिए वह भावुक पल था. इसकी सत्यता तब दिखी जब सीएम ने तत्काल चाईबासा डीसी को मामले में निर्देश दिया. 

राँची : सीएम सोरेन के शासनकाल में सभी प्रतीकों व महापुरुषों को मुक़म्मल पहचान मिलने का सिलसिला लगातर जारी है. जिसे पूर्व की सामन्तवादी सरकारों में जानबूझ कर झारखण्ड के गौरवपूर्ण इतिहास को ज़मींदोज करने हेतु अनदेखा किया गया. ज्ञात हो, केवल राज्य के आन्दोलनकारियों को ही नहीं उन सैनिकों को भी सम्मान मिल रहा है, जो एकीकृत बिहार के समय से विसार दिए गए थे. साथ ही नक्सल छोड़ मुख्यधारा में लौटे युवाओं के जख्मों पर भी मरहम लगा है.

झारखण्ड : सैनिक व नक्सल से U टर्न लिए युवाओं के भी सीएम सोरेन ही एक मात्र उम्मीद

52 वर्षों से अधिकार की लड़ाई लड़ रहे पोदना बालमुचू को मिला अधिकार 

मुख्यमंत्री के प्रयासों से देश रक्षा की लड़ाई लड़ने वाले एक वीर सैनिक को सम्मान मिला है. ज्ञात हो, देशा के इस सैनिक किसी भी सामन्ती सरकार की नजर कभी नहीं पड़ी. हो जनजाति से आने वाले 80 वर्षीय इस सैनिक, पोदना बालमुचू ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध लड़ा था. और पिछले 52 वर्षों से अपने सम्मान और अधिकारी की लड़ाई लड़ रहे थे. 

पोदना अपने करीबियों के साथ महज चंद दिनों पहले सीएम से मिले थे. उन्हें अपनी व्यथा सीएम को सुनवाई थी. पोदना के करीबी बताते हैं कि सीएम के लिए यह भावुक पल था. इसकी सत्यता तब दिखी जब सीएम ने तत्काल चाईबासा उपायुक्त को निर्देश दिया कि वर सैनिक पोदना को अगले 10 दिनों के में 5 एकड़ जमीन मुहैया कराई जाए. और उन्हें पेंशन, आवास जैसे सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं की सुविधा जल्द प्रदान की जाए.

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