झारखण्ड : सीएम सोरेन विपक्षी षड्यंत्रों के जवाब में न तीर चला रहे हैं ना भाला. बल्कि इसकी चिंता छोड़ नेक मंशा से केवल जनहित के रुके अष्टांगिक पहिया घुमा रहे हैं. कांटे स्वतः उनके राहों से हटता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला तथ्य का स्पष्ट उदाहरण.
रांची : अंतर्राष्ट्रीय भाषा वैज्ञानिक डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह लिखते हैं कि पहिए पर दुनिया टिकी है, पहिया जाम तो सब जाम. प्राचीन और मध्यकाल के कोल्हू, जाँता, रहँट और चरखा से लेकर आधुनिक काल के मोटर, कल-कारखाने और वायुयान तक. इसकी स्पष्ट तस्वीर झारखण्ड ने ना केवल पूर्व की बीजेपी सत्ता में बल्कि देश मौजूदा मोदी काल में भी देख रहा है.
ज्ञात हो, झारखण्ड में सीएम सोरेन तमाम विपक्षीय षड्यंत्रों के जवाब में न तीर चला रहे हैं ना भाला. बल्कि इसकी चिंता छोड़ वह केवल जनहित के रुके अष्टांगिक पहिया घुमा रहे हैं. मसलन, 20 वर्षों से चौराहे पर ठिठका झारखण्ड फिर अपने विकास की दिशा में गीति से बढ़ चला है. सीएम के नेक मंशा का ही परिणाम है कि विपक्ष द्वारा बोए जा रहे कांटे स्वतः ही उनके राहों से हटता जा रहा है.
झारखण्ड हाईकोर्ट में दायर PIL सुनवाई योग्य नहीं
इस तथ्य की ताजा तस्वीर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दिखता है. ज्ञात हो, खनन लीज और शेल कंपनियों से जुड़े मामले में, मेंटेनेबिलिटी की बिंदु पर, सुप्रीम कोर्ट में, न्यायाधीश जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच द्वारा सुनाए गए फैसले से साफ हो गया है कि झारखण्ड हाईकोर्ट में दायर PIL सुनवाई योग्य नहीं है.
ज्ञात हो, झारखण्ड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ झारखण्ड सरकार व सीएम हेमन्त सोरेन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी गई थी. सोमवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न केवल सीएम सोरेन के नेक मंशा को उजागर किया है बल्कि हेमन्त सरकार पर मजबूत जन विश्वास की स्पष्ट तस्वीर भी प्रदर्शित की है. जो पाखंडवाद के लिए पाठ भी हो सकती है.