सीएम की रणनीति ने झारखंड को कराया गर्व – इतिहास याद रखेगा, आपदा में झारखंड ने देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी

ऑक्सीजन आपूर्ति में झारखंड बना देश का No-1 राज्य, बेहतर प्रबंधन से संसाधन का किया इस्तेमाल, खुद की भरपाई करते हुए झारखंड ने 27% उड़ीसा, 20% गुजरात सहित अन्य राज्यों में ऑक्सीजन आपूर्ति कर देश को लोगों की जान बचाने में की मदद

आत्मनिर्भरता की पहल का ही असर रहा कि झारखंड के अस्पतालों में मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई

रांची: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के मूल्य को लोगों ने महसूस किया. इस संजीवनी की कमी ने देश के माथे पर शिकन ला दिया था. ऑक्सीजन की कमी से देश भर में हुई कई मौतें इस सत्य की गवाह बनी. इस त्रासदी में तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों के हाथ-पांव फूले हुए थे. ऐसे नाज़ुक वक़्त में झारखंड घबराने या कोरोना को पीठ दिखाने के बजाय ठोस निर्णय ले रहा था. अल्प संसाधन के बीच मुख्यमंत्री स्वयं सेनापति बन रणनीति गढ़ रहे थे. और इतिहास सदियों तक गवाही देगा कि देश में हुई ऑक्सीजन की कमी की भरपाई, झारखंड ने अपनी इच्छाशक्ति से कर दिखाया. 

ज्ञात हो, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संक्रमण के शुरुआती दिनों में ही कहा था कि देश, राज्य व मानव हित में, कर्तव्य निभाने से झारखंड न पीछे हटेगा और न ही अकुतायेगा. और विपदा की स्थिति में भी उन्होंने अपने वचन को निभा झारखंड को गौरवान्वित किया. बेहतर प्रबंधन से झारखंड की जरूरत को पूरा करते हुए, उन्होंने अन्य राज्यों में भी ऑक्सीजन आपूर्ति कर, देश भर में मानवता की मिसाल पेश की. आंकड़े बताते हैं कि विपदा में, ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले में झारखंड देश का नंबर वन (No -1) राज्य रहा. 

संक्रमण जब देश में पीक पर था, तमाम राज्यों में आप-धापी मची थी. तो झारखंड अपने बेहतर प्रबंधन से अपनी जनता की जान महज 35% ऑक्सीजन खपत कर बचाई. और उड़ीसा को 27%, गुजरात को 20%, पश्चिम बंगाल को 8%, मध्य प्रदेश को 5% व अन्य राज्यों को भी 5% ऑक्सीजन की आपूर्ति कर देश की मदद की. झारखंड पहली पंक्ति में खड़ा होकर देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाया. जो किसी लोकतांत्रिक संविधान के मूल्यों को सलामी हो सकता है. ऐसे में मीडिया जगत व बुद्धिजीवियों को कहने में परहेज नहीं होना चाहिए कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में, झारखंड वह रणनीति बनाने में सफल रहा, जिसे देश गौरवशाली इतिहास के रूप में याद रखना चाहेगा.

आत्मनिर्भरता की पहल का ही रहा असर, कि अन्य राज्यों की तरह झारखंड में नहीं घटी अनहोनी 

हेमंत सोरेन की बेहतर प्रबंधन व रणनीति का ही असर था कि ऑक्सीजन के मामले में राज्य आत्मनिर्भरता के साथ खड़ा हुआ. और झारखंड में अन्य राज्यों की तरह अनहोनी नहीं घटी. संक्रमण के दौर में जनता को इलाज मुहैया कराने के मद्देनजर, राज्य के तमाम अस्पतालों का निरीक्षण हो या अधिकारियों से महत्वपूर्ण बैठक. बतौर सीएम हेमंत ने हमेशा अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति की सुनिश्चितता पर जोर दिया. 

ज्ञात हो, संक्रमण की दूसरी लहर में कई राज्यों में संक्रमितों की मौत कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से हुई- 

  • कर्नाटक (चामराजनगर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में 12 मरीजों की मौत)।
  • दिल्ली (बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी 12 कोरोना मरीज़ों की मौत, सरदार वल्लभ भाई पटेल में 2 की मौत)।
  • मध्यप्रदेश (जबलपुर के गैलेक्सी अस्पताल में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से 5 मरीजों की मौत) जैसे कई राज्य हैं, जहां के अस्पतालों में संक्रमित मरीजों की जान केवल ऑक्सीजन की कमी से ही हुई. 

शुरूआती दिनों से ही मुख्यमंत्री के निर्देश पर हो रहा था ऑक्सीजन आपूर्ति 

अन्य राज्यों को ऑक्सीजन आपूर्ति का काम संक्रमण के शुरुआती दिनों से ही किया जा रहा था. करीब तीन ट्रेनें 320 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन लेकर देश के कई शहरों को गयी थी. इसमें लखनऊ (80 टन), ओखला (120 टन) और बेंगलुरु (120 टन) शामिल हैं. दिल्ली से ऑक्सीजन टैंकर लेकर वायु सेना की छह विमान रांची एयरपोर्ट पर उतरी थी. सभी टैंकरों को बोकारो से ऑक्सीजन लेकर दिल्ली सहित देश के कई शहरों में पहुंचाना था.

ऑक्सीजन आपूर्ति में कोई कमी नहीं हो, इसलिए मुख्यमंत्री ने शुरुआती दिनों में ही ऑक्सीजन टास्क फोर्स का गठन कर लिया था. टास्क फोर्स ने राज्य में ऑक्सीजन उत्पादन कैसे बढ़े, इसकी योजना बनाने का काम किया. इसी का परिणाम था कि राज्य में कार्यरत पांच ऑक्सीजन निर्माता जहाँ 315 टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे थे, वहां संक्रमण के शुरुआत से ही बढ़ाकर 570 टन प्रतिदिन उत्पादन किया जाने लगा.

संजीवनी वाहन योजना, निजी अस्पतालों में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाने का कारण भी आत्मनिर्भरता 

झारखंड में ऑक्सीजन प्लांट की आत्मनिर्भरता का ही असर था. जहाँ मुख्यमंत्री ने संक्रमण की लहर के बीच संजीवनी वाहन योजना जैसे रणनीति की शुरुआत की. आपात के परिस्थिति को देखते हुए, इस योजना के तहत वाहनों से तत्काल जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया जाने लगा. और स्वास्थ्य विभाग ने सभी निजी अस्पतालों को निर्देश दिया कि 50 या उससे अधिक बेड वाले सभी निजी अस्पतालों को प्रेशर स्विंग एड्सॉर्पशन (पीएसए) ऑक्सीजन प्लांट लगाना होगा. इसका फायदा हुआ कि अन्य राज्यों में जिस तरह निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से कथित तौर पर मरीजों की मौत हुई, वैसी घटना झारखंड में नहीं घटी.

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