सीएम का महापुरुषों के मूल्यों को योजनाओं में समावेश कर झारखण्ड गढ़ने का अनूठा प्रयास

सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व के कैनवास में पहली बार राज्य के प्रतीकों, महापुरुषों के मूल्यों को योजनाओं में समावेश कर, खाद के रूप में राज्य के नसों में भर झारखण्ड गढ़ने का अनूठा प्रयास हुआ है.

झारखण्ड /रांची : मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा राज्य में आदिवासी, वंचित व तमाम वर्गीय गरीब जीवन के सशक्त अभिव्यक्ति के जीवंत प्रतीक हैं. जयपाल सिंह मुंडा गरीब समाज से निकलने वाले देश के एक विलक्षण प्रतिभा हैं. जो कभी हार न मानने का सन्देश राज्य समेत देश के युवाओं को देते हैं. नतीजतन, केन्द्रीय राजनीति के लिए हमेशा से ही ऐसी प्रतिभाएं विमर्श का विषय रही है. राजनीतिक साज़िश के पात्र बने हैं. चूँकि मुख्यधारा के इतिहासकारों पर केन्द्रीय राजनीति का प्रभाव शुरूआती दौर से रहा है, इतिहास के पन्नों में ऐसी प्रतिभाएं, ऐसे महापुरुषों के मूल्यों को नजरअंदाज किया जाता रहा है. भगवान बिरसा, जयपाल सिंह, शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो जैसे प्रतीक तथ्य के स्पष्ट उदाहरण हो सकते हैं.

हेमन्त सरकार में महापुरुषों के मूल्यों को योजनाओं में समावेश कर राज्य के विकास में मजबूत भागीदार बनाने का अनूठा प्रयास 

झारखण्ड की मौजूदा सत्ता के राजनीतिक कैनवास में पहली बार राज्य के ऐसे प्रतीकों के मूल्यों को खाद के रूप में प्रयोग कर, राज्य के नसों में भरने का अनूठा प्रयास हुआ है. उदाहरण के तौर पर मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा का व्यक्तिव – महानतम खिलाड़ी. गरीबी में संसाधनरहित गांव से निकल कर ऑक्सफोर्ड तक सफ़र, अर्थशास्त्र में गोल्डमेडलिस्ट. झारखंडी मूल्यों के बचाव में केन्द्रीय राजनीति को विधानसभा चुनाव में चुनौती दिया. संविधान सभा के सदस्य के रूप में प्रखर उपस्थिति. झारखण्ड आन्दोलन में नायक… 

हेमन्त सरकार में इन तमाम मूल्यों को योजनाओं में समावेश कर राज्य के विकास में मजबूत भागीदार बनाने का प्रयास हुआ है. हेमन्त सरकार मे मरङ गोमके पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के मध्यम से जयपाल सिंह मुंडा के व्यक्तित्व को फिर से जीवंत करने का प्रयास हुआ है. और इस योजना को राज्य के सभी वर्गों के युवाओं की शिक्षा से जोड़ने का प्रयास सही मायने में जयपाल सिंह मुंडा जैसे शख्सियत के लिए श्रधांजलि हो सकता है. ज्ञात हो, वर्तमान में इस योजना के तहत SC, ST, OBC व अल्पसंख्यक वर्ग के उच्च पढ़ाई हेतु विदेश भेजा जा रहा है. सीएम ने कहा है कि आगे इसका दायरा बढ़ा कर राज्य के सभी वर्गों को शामिल किया जाएगा. 

खेल नीति के माध्यम से हेमन्त सरकार में खेल को राज्य के आधार भूत संरचना से जोड़ने का प्रयास

हेमन्त सरकार में खेल नीति के माध्यम से खेल को – राज्य में नजरअंदाज खेल प्रतिभा को पहचानने का प्रयास. पुरुष वादी समाज के बंधनों को तोड़ महिला खिलाड़ियों में छिपी प्रतिभा को पहचान कर, निखार कर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाने का प्रयास, खेल को झारखंडी जनता के स्वास्थ्य से जोड़ने का प्रयास, आपसी सौहार्द सुनिश्चित करने का प्रयास, राज्य के आधारभूत संरचना से जोड़ने का प्रयास हुआ है. ज्ञात हो, कोरोना त्रासदी काल में भी राज्य के बेटियों को सरकार ने प्रशिक्षण दिए. हॉकी महिला खिलाडियों समेत अन्य खिलाड़ियों सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया गया. साथ ही खेल पदाधिकारियों की नियुक्ति व प्रतियोगिताएं आयोजन इसी तथ्य को उजागर करते हैं.  

इसी कड़ी में झारखण्ड पहली बार सैफ अंडर 18 (SAFFU-18) महिला फुटबॉल चैंपियनशिप की मेजबानी कर रहा है. जमशेदपुर में 15 से 25 मार्च तक आयोजित चैंपियनशिप/प्रतियोगित में 3 देश भारत, नेपाल व बांग्लादेश के खिलाड़ियों ने भाग लिया है. राज्य सरकार, राष्ट्रीय फुटबॉल फेडरेशन और टाटा स्टील के संयुक्त तत्वाधान में प्रतियोगिता आयोजित कर रही है. प्रतियोगिता के सभी मैच में निःशुल्क प्रवेश का प्रावधान किया गया है, ताकि राज्य की जनता भी सरकार के प्रयास से जुड़ सके. साथ ही, मुखिया हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में हेमन्त सरकार के तमाम योजनाओं का दायरा सभी वर्गों के विकास व कल्याण सुनिश्चित करना सभी वर्ग के प्रतिनिधित्व के रास्ते को प्रसस्त करता है.

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