झारखण्ड : सीएम ने राज्य को व्यवस्थित करने हेतु दो बड़े परिवर्तन के दिए संकेत 

झारखण्ड : सीएम सोरेन ने जन सहूलियत की दिशा में राज्य को व्यवस्थित करने हेतु न्यायिक व्यवस्था व पुलिस व्यवस्था के दुरुस्तीकरण, दो बड़े बदलाव के दिए संकेत. पहला – जैप मुख्यालय व पुलिसलाइन का जीर्णोद्धार व दूसरा बार काउंसिल का आधुनिकीकरण. 

रांची : पारण परेड समारोह में सीएम सोरेन के द्वारा कहा जाना कि ‘राज्य को बेहतर दिशा देने के लिए बेहतर व्यवस्था देनी जरुरी’, भविष्य के नए झारखण्ड की स्पष्ट तस्वीर उकेरती है. इस दिशा में सीएम के दो प्रयास निश्चित रूप से ठोस और सराहनीय माना जा सकता है. पहला – जैप मुख्यालय व पुलिस लाइन जीर्णोद्धार व दूसरा बार काउंसिल का आधुनिकीकरण व आर्थिक रूप से कमजोर अधिवक्ताओं को ट्रेनिग मुहैया कराने का प्रस्ताव. 

झारखण्ड : सीएम ने राज्य को व्यवस्थित करने हेतु दो बड़े परिवर्तन के दिए संकेत 

ज्ञात हो, सीएम सोरेन का मानना है कि कर्मचारी वर्ग जन विकास के प्रमुख कड़ी हैं. ये जहाँ एक तरफ समाज को सुरक्षा व न्याय दिलाने में अपनी भूमिका निभाते हैं तो वहीँ दूसरी तरफ सरकार के कल्याणकारी योजनाओं को हासिये के अंतिम छोर पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा संविधान के भावनाओं की पूर्ति करने में अहम भूमिका भी निभाते हैं. 

हालांकि, पूर्व के सामंतवादी सत्ता के लूट के अक्स में बनी नीतियों ने भ्रम के आसरे उलझने उस पराकाष्ठा तक पहुंचा दी जहाँ जनता का विश्वास इन शाखों से डगमगाया है. कमोवेश यह हाल पूरे देश का है. लेकिन, इस सत्य को झुठलाया नहीं जा सकता कि संविधान के ये जरुरी अंग ही समाज को सुरक्षा दे सकता है, समाज को विकसित कर सकता. समाज के हर वर्ग की भागीदारी को भी सुनिश्चित कर सकता है.

गरीब वर्ग के अधिवक्ता की ट्रेनिंग की सोच न्याय व्यवस्था में इनकी मजबूत भागीदारी का प्रयास

ऐसे में, झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन का कर्मचारी वर्ग, पुलिस विभाग, न्याय प्रक्रिया के अभिन्न अंग आधिवक्ता व बार काउंसिल की सुध लेना, झारखण्ड जैसे राज्य के विकास के बुनियादी दुरुस्तीकरण माना जा सकता है. ज्ञात हो, सरकार के साथ ये सभी संविधानिक शाखायें समाज का ही हिस्सा होता है. इसलिए इन वर्गों की भी मंशा अपने राज्य व देश को शिखर पर पहुंचाने की होती है. 

मसलन, सीएम का व्यवस्था सुदृढ़ीकरण का सोच राज्य में संविधानिक मूल्यों को जिन्दा रखना है. समाज के सभी वर्गों के भागीदारी के आस को जीवित रखना है. ज्ञात हो, महिला सशक्तिकरण के मद्देनजर जहाँ पुलिस विभाग में महिलाओं की संख्या में वृद्धि उनकी भागीदारी को दर्शाता है तो वहीं गरीब वर्ग से आने वाले अधिवक्ता की ट्रेनिंग की सोच न्याय व्यवस्था में इनकी मजबूत भागीदारी को सुनिश्चित करने के प्रयास को दर्शाता है.

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