बतौर खतियानी, सीएम हेमन्त सोरेन और स्व. मंत्री जगरनाथ महतो झारखण्ड के मूलवासी बहनों के बेहतरीन भाई साबित हुए हैं. सावित्रीबाई फूले, सर्वजन पेंशन जैसी योजनाएं स्पष्ट उदाहरण.
रांची : झारखण्ड में 20 वर्षों की सामंती सत्ता में बढ़े महिला शोषण की तुलना में वर्तमान की हेमन्त सरकार में महिला सशक्तिकरण को लेकर ऐतिहासिक कार्य हो रहे हैं. ज्ञात हो, पूर्व की सामन्ती सत्ताओं की नीतियों के अक्स में पुरुषवादी विचार ने राज्य में अपनी पैठ बनाई. और यहाँ महिला तस्करी जैसे अपराध बढ़े. वर्तमान मोदी सत्ता की भांति पूर्व की बीजेपी सत्ता में बेटियों को न्याय के बदले उसके पिता को भरी मंच पर अपमान मिला. सभाओं में आने वाली बहनों के दुपट्टा तक चेक किये गए.
राज्य के रिक्त सरकारी पदों पर नियुक्ति रोक अनुबंध पर महिलाओं की नियुक्तियां हुई. और बीजेपी सरकार से अपना हक-अधिकार मांगने पर आंगनबाड़ी बहनों को अधिकार के बदले पीठ पर पुलिसिया लाठी मिली. साथ पोषण सखी सेवा को भी समाप्त कर दिया गया. मर्जर के नाम पर भारी संख्या में स्कूलों को बंद किये जाने कारण राज्य में गरीब मूलवासी बेटी-बहनों की शिक्षा पाने के एक मात्र आस को भी समाप्त कर दिया गया. हेमन्त सोरेन जैसे मूलवासी नेताओं को खून के आंसू पीना पड़ा.
झारखण्ड में बीजेपी की सरकार बदलते ही बेटियों की शिक्षा को मिली तरजीह
राज्य में बीजेपी की सरकार बदली, सीएम हेमन्त सोरेन और जगरनाथ महतो जैसे खतियानी प्रतिनिधियों के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता मिली. जगरनाथ महतो और विधायक सुदिव्य कुमार की अगुआई में राज्य के आंगनबाड़ी दीदीयों की समस्याओं का हल निकला गया. सखी मंडल की बहनों के महनत और उपयोगिता को तरजीह मिली. महिलाओं के लिए लोन की सुविधाएं बहाल हुई, जिसके अक्स में राज्य की बहने हड़िया-दारु का व्यवसाय छोड़ बेहिचक किसानी समेत अन्य रोजगार कर हैं.
यही नहीं पलाश मार्ट के आसरे राज्य की बहनों की मेहनत को बाजार उपलब्ध कराया गया. सर्वजन पेंशन के आसरे राज्य के सभी जरुरतमंद बहनों को पेंशन की सुविधा मुहैया कराई गई. सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में राज्य में बेटियों की शिक्षा पर जोर दिया गया. प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी से लेकर तमाम महंगी शैक्षणिक खर्चों को सरकार खुद वहन कर रही है. राज्य की महिला खिलाड़ियों को तरजीह मिली. उनके खले को तराशा जा रहा है. जिसका फायदा देश को भी मिल रहा है.
सावित्रीबाई फूले योजना राज्य की बच्चियों के भविष्य के लिए वरदान
हेमन्त सरकार में, देश के पहली शिक्षिका के कार्यों को श्रद्धांजलि देने के तौर पर झारखण्ड में सावित्री बाई फूले योजना को धरातल पर उतारा गया है. जिसके अक्स में राज्य की बेटियों के राह में आने वाले विभिन्न रोड़ों को हटाने का प्रयास सीएम के द्वारा किया जा रहा है. कुल मिला कर कहा जाए तो सावित्रीबाई फूले योजना झारखण्ड की बेटियों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण और कारगर योजना साबित हो रही है –
- आर्थिक सहायता : इस योजना के तहत 8वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक की लड़कियों को प्रति वर्ष 2500 से 5000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. यह सहायता राशि लड़कियों की शिक्षा के खर्च को कम करने में मदद कर रही है.
- बाल विवाह की रोकथाम : राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में बाल विवाह की समस्या आम है. इस योजना के तहत लड़कियों को आर्थिक सहायता मिलने से उनके परिवारों को उनकी जल्द या बाली उम्र में शादी करने का दबाव कम हो गया है. इससे बाल विवाह की रोकथाम में मदद मिली है.
- शिक्षा में बढ़ोतरी : इस योजना से लड़कियों को शिक्षा के प्रति जागरूक होने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित होने में मदद मिली है. इससे राज्य में लड़कियों की शिक्षा ग्राफ में लगातार बढ़ोतरी देखि जा रही है.
- आत्मनिर्भरता : इस योजना से लड़कियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने में मदद मिली है. और पुरुषवादी सामाज में वह तमाम बेड़ियों तोड़ते हुए आर्थिक स्थिति के सुधार के दिशा में बढ़ चली है.
यही नहीं, सीएम हेमन्त को जब किसी बहन ने अपनी समस्या के मातहत पुकार लगाई है, उन्होंने न केवल उस पुकार सूना है. उसका हल भी निकाला है. ज्ञात हो, हेमन्त शासन में राज्य में भारी संख्या में बेटियों को तस्करों से मुक्त करा झारखण्ड लाया गया है. और उनकी शिक्षा से लेकर रोजगार तक का भार सरकार द्वारा उठाया गया है. पहली बार भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा जैसे सामाजिक लड़ाई को बजट में जगह मिली है. तमाम तस्वीरों को देखते हुए कहा जा सकता है कि सीएम हेमन्त सोरेन व जगरनाथ महतो एक बेहतरीन भाई साबित हुए हैं.