गृहमंत्री के समक्ष सीएम ने फिर रखे झारखण्ड के जरुरी मसले

झारखण्ड : नक्सल खात्में के मद्देनज़र सीएम हेमन्त का प्रयास कारगर. योजनाओं के माध्यम से जनता के नक्सली विचार में हो रहा है परिवर्तन. केंद्र राज्य को बाकाय दे ताकि योजनायें निरंतर चलती रहे.  

रांची : भारत में नक्सल समस्या के जन्म के मूल में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, प्रशासनिक नीतियां रही है. नक्सलवाद के मूल में सामाजिक असमानता और शोषण है. सरकारी नीतियों के अक्स में जंगल और ग्रामीण क्षेत्रों की जनता भूमिहीन, गरीब और अशिक्षित होने का सच लिए है. और ज़मींदारों, साहूकारों और अन्य प्रभुत्वशाली शक्तियों के शोषण का भी सच लिए होते हैं. और भारत के आर्थिक असमानता के सच ने इस समस्या खाद-पानी दिया है.

गृहमंत्री के समक्ष सीएम ने फिर रखे झारखण्ड के जरुरी मसले

नक्सलवाद के उदय में राजनीतिक असहिष्णुता भी एक महत्वपूर्ण कड़ी है. शहरी क्षेत्रों को ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक अवसर और सुविधाएं मिलती है. सरकारें हमेशा से ही आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्र की शिकायतों को नजरअंदाज करती रही है. जिससे इन क्षत्रों में असंतोष और गुस्सा बढ़ा है. जिसका लाभ नाक्सालवाद के द्वारा उठाया गया है. और सरकारों ने इस जन असंतोष को प्रशासनिक व्यवस्था के आसरे दबाने का प्रयास का सच लिए है.

उदाहरण के तौर पर पूर्व के बीजेपी की सरकारों के नीतियों के अक्स में झारखण्ड प्रदेश में तथ्य के अवशेष देखे जा सकते हैं. हालांकि, मौजूदा हेमन्त सोरेन की नीतियों में इस राज्य में नाक्सालवाद पर अंकुश लगा है. और लगभग अंतिम सासें ले रहा है. लेकिन नक्सल खात्में के मद्देनजर सीएम के द्वारा बार-बार इस सच को गृहमंत्री के अध्यक्षता वाली सभी बैठकों में रखा जाना और मामलों में केंद्र के द्वारा सहायता में आना-कानी तथ्य के भाव को स्पष्ट कर सकती है.

केंद्रीय उपक्रमों पर झारखण्ड के बकाया आदायेगी से दूर होगी जन समस्याएं 

सीएम हेमन्त सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में नक्सल खात्में की समीक्षा बैठक में कहा कि झारखण्ड में उग्रवाद की समस्या में कमी आई है, लेकिन इसकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिए केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति जारी रखने की जरूरत है. सीएम ने राज्य की आर्थिक सबलता के मद्देनजर केंद्रीय उपक्रमों पर राज्य के बकाया आदायेगी समेंत समेत कई जायज मांगें एक बार फिर रखी. और राज्य और केंद्र सरकार के बीच बेहतर समन्वयता को जरुरी बताया.

हेमन्त सरकार के नीतियों के अक्स में राज्य में नक्सली संगठनों के प्रभाव क्षेत्रों में कमी आई है और यह समस्या अब राज्य के कुछ क्षेत्रों में ही सिमट कर रहा गया है. ज्ञात हो, सीएम की कई नीतियों में उनकी कल्याणकारी योजनायें इस समस्या के हल में प्रभावी कड़ी साबित हुए हैं. इसलिये उनके द्वारा उग्रवाद की पुनरावृत्ति रोकने के लिए विकास की योजनाओं को व्यापक पैमाने लगातार चलते रहने को जरूरी बताया. लेकिन यह बिना संशाधन की उपलब्धता के संभव नहीं है. 

सीएम के प्रयास नक्सल खात्में में कारगर -केंद्र को करना चाहिए सहयोग 

सीएम हेमन्त के द्वारा पत्रकारों से कहना कि राज्य सरकार बहुआयामी कार्य योजना के तहत कार्य कर रही है. माननीय गृह मंत्री झारखण्ड के मसलों से अच्छी तरह अवगत हैं. नक्सली गतिविधियां केवल झारखण्ड का नहीं बल्कि पूरे देश का विषय है. और इसके समाप्ति में हमारी सरकार के कदम निर्णायक साबित हुए हैं. 762 उग्रवादियों की गिरफ्तारी नहीं उनके विचारों में बदलाव लाया गया है. और इसके लिए जरुरी है कि केंद्र बकाया दे ताकि सरकार यह कार्य जारी रख सके.

ज्ञात हो, भारत सरकार की खनन कंपनियों पर झारखण्ड का करीब 1.36 हजार करोड़ रुपये बकाया है. सीएम ने गृह मंत्री से एक बार फिर यथाशीघ्र भुगतान के लिए खान मंत्रालय को निर्देश देने का आग्रह किया है. ताकि राज्य के 45% सीडी रेशियो को देश के औसत रेशिओ के समतुल्य लाया जा सके. बैंकों के असहयोगात्मक रुख के मद्देनज़र जनता निवेश के लाभ से वंचित है. एससी-एसटी समुदाय छोटे ऋण सुविधा से भी वंचित हैं. गृहमंत्री से अनुरोध किया गया कि सभी बैंकों निर्देश करें. 

सीएम ने डीएमएफटी की राशि को लेकर भारत सरकार मार्ग निर्देशिका में प्रस्तावित परिवर्तन न करने की अपील की है. इससे झारखण्ड को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. प्रस्तावित मार्गनिर्देश के अनुसार खनन क्षेत्र के मात्र 15 किमी की परिधि में ही राशि व्यय हो सकती है जो झारखण्ड जैसे जंगलों एवं पहाड़ों से आच्छादित राज्य के समक्ष समस्या उत्पन्न कर रही है. मसलन, सीएम के यह प्रयास नक्सल ख़ात्मे में कारगर है. ऐसे में केंद्र को सहयोग करना चाहिए.

Leave a Comment