विधायक खरीदने के लिए केंद्र सरकार के पास करोड़ों परंतु रोजगार के नाम पर इनके पास कुछ भी नहीं. विधायक प्रदीप यादव ने अदानी के खिलाफ मोर्चा खोला. 75% स्थानियों को काम की बात कही तो उनपर इनकम टैक्स का रेड -सांसद विजय हासदा
दिल्ली : यूथ एंड वीमेन पॉवर की बात की गई है डाईवर्सिटी और यूनिटी की बात की जाती है लेकिन जॉब की संभावनाओं की जो बात कही गई है मुझे लगता है उससे कोई संतुष्ट नही होगा. दिल्ली में भाषण दिया जाता है जिसमे सत्ता दल के लोग रहते हैं और मुसलमानों और ईसाईयों पर डंडा बरसाने की बात करते हैं. सरना कोड की मांग की गयी वह झारखण्ड को अब तक नहीं मिला है.
यह सरकार एक तरफ एकता और अखंडता की बात करती है. सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबके विश्वास की बात करती है तो दूसरी तरफ ईसाई और मुसलमानों पर डंडे बरसाने की भी बात करती है. सिर्फ शब्द गढ़ने से लोकतंत्र पर विश्वास नहीं बढ़ता, शब्दों के साथ आम जनता का विश्वास भी जीतना पड़ता है.
विधायक प्रदीप यादव जी ने अदानी के खिलाफ जो मोर्चा खोला तो उनपर इनकम टैक्स का रेड
विधायकों को खरीदने के लिए इस सरकार के पास करोड़ों होते हैं परंतु रोजगार के नाम पर इनके पास कुछ भी नहीं है. डिजिटल नेटवर्क की बात की गई है लेकिन मैं कह सकता हूँ की हमारे क्षेत्र में अनाज वितरण में कई दिक्कतें है. इस सरकार में सच बर्दास्त की क्षमता ही नहीं है. आज अदानी की बात आएगी तो सामने दल वालों से बहुत ज्यादा बात निकल कर आ जायेगी.
हमारे विधायक प्रदीप यादव जी ने अदानी के खिलाफ जो मोर्चा खोला. उसमे 75% स्थानियों को काम देना होगा तो उनपर इनकम टैक्स का रेड पडवा गया. राम का नाम लेते-लेते केन्द्रीय सत्ता रावन की राह पर चल पड़े हैं. आपने लिखा वे थैंक पीपल फॉर चूसिंग स्टेबल गवर्नमेंट लेकिन जहाँ भी बीजेपी की सरकार नही वहां आप गिराने का काम करते हो. हमारे स्टेट में भी यह प्रयास किया गया.
- 30 करोड़ प्रवासी मजदूर का गलत आंकड़ा दिया गया. जिसके आधार पर इलेक्शन कराया जा रहा है.
- प्रवासी मजदुर एक जगह से दुसरे जगह गये इतना इन्हें लाने में स्टेट गवर्नमेंट मुश्किल हुई और राज्य सरकार को श्री देने के बजाय केंद्र सरकार बताई है कि इस विपदा से उसने बेहतर फाइट की.
- ग्रीन कार्ड के लिए झारखण्ड सरकार के तरफ से पैसा दिया गया फिर भी अनाज नहीं मिला.
- गवर्नर हाउसेस के मिसयूज होने के मददेनजर SC, ST, OBC को राज्यपाल के तरफ से लौटाया गया लेकिन कर्नाटका सरकार का बिल पास हुआ.
- 10 लाख गरीबों के आवास के लिए सीएम हेमन्त सोरेन केंद्र सरकार से मांग की लेकिन अबतक राज्य को आवास नहीं दिया जा रहा है.