अफ़वाह व भ्रम फैलाना बीजेपी की रणनीति का बुनियादी हिस्सा रहा है. लेकिन, JMM के महासचिव के अनुसार गृहमंत्री के चक्रव्यूह के अक्स में बीजेपी अब और आगे निकलते हुए अफवाह फैलाने में सरकारी संस्थानों का कर रहे है उपयोग.
रांची : झूठी सूचनाओं के आसरे अफ़वाह व भ्रम फैलाना फासिस्ट व सामन्ती सत्ता की रणनीति का बुनियादी हिस्सा रहा है. वर्तमान में सामंती मशीनरी गोदी मीडिया, सोशल मीडिया पर आईटी सेल के आसरे अधिक असरदार ढंग से अपने मंसूबों को अंजाम देते रहे है. साम्प्रदायिक तनाव व दंगों में किसी न किसी रूप में इनकी अहम भूमिका रही है. अफवाह की यह मशीनरी दिन-रात झूठी ख़बरें गढ़कर धार्मिक कट्टरपंथी व अन्ध-राष्ट्रवाद के अक्स में समाज में उन्माद फैलानाजारी रखते हैं.
लेकिन, चेन्नई साइबर अपराध शाखा के द्वारा तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के ख़िलाफ़ झूठे प्रचार, तनाव फैलाने व आपसी वैमनस्य को बिगाड़ने के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया गया है. लेकिन सवाल इसकी पुष्टि भर का नहीं कहीं आगे का है. झारखण्ड में झामुमों के प्रेस कांफ्रेंस की सत्यता को समझें तो मालूम पड़ता है कि गृहमन्त्री के चक्रव्यूह के अक्स में बीजेपी अब सत्ता सुख के लिए केन्द्रीय शक्तियों के आसरे सरकारी संस्थानों का उपयोग अफ़वाह फैलाने में कर रही है.
क्या बीजेपी अफ़वाह फैलाने में सरकारी संस्थानों का कर रही है उपयोग
झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने स्पष्ट कहा है कि राज्य में बीजेपी काल में मनरेगा में हुई गड़बड़ियों को लेकर शुरू हुई जांच अब शाखाओं, प्रशाखाओं तक फैल गई है. जांच एजेंसी अधिकारियों को समन भेजती है. मीडिया में छापेमारी में कागजातों और नकदी बरामदगी की बातें सामने आती हैं, लेकिन इससे सम्बंधित औपचारिक सूचनाएं जारी नहीं होती.ऐसे में माना जा सकता है सरकारी संस्थान बीजेपी को लाभ पहुँचाने के लिए गोदी मीडिया केवल हेडलाइन देता है.
यदि यह सच है तो यह सब सपष्ट रूप से 2024 के आम चुनावों की तैयारी का हिस्सा है. इसे भी काशी-मथुरा, गोहत्या, मदरसे, ‘पाकिस्तान-पाकिस्तान’ जैसे ध्रुवीकरण के मुद्दों से जोड़ कर देखा जाना चाहिए. दरअसल, देश भर में मँहगाई-बेरोज़गारी के बीच बीजेपी के अन्धराष्ट्रवाद जैसे असरदार अस्त्र तरकश में ही विफल हो जाने से बीजेपी व उसके सरपरस्त संस्थानों के द्वारा यह कदम उठाया जा रहा है. जिसका अर्थ है कि बीजेपी जीत सुनिश्चित के लिए सबकुछ कर गुज़रना चाहती है.