झारखण्ड : देश में विज्ञान को आसमान तक पहुँचाने हेतु स्टैंड बन खड़ा रहने वाला एचईसी मोदी सरकार में तिल-तिल मर रहा है, ऐसे में संसद में ‘भारी उद्योग मंत्री’ के बयान को देशद्रोह के श्रेणी में क्यों नहीं रखा जाए?
केंद्र सरकार और झारखण्ड भाजपा के सांसदों के मंशा के खिलाफ एचईसी यूनियन मज़दूरों में भारी रोष, उग्र आंदोलन की तैयारी. अंधभक्तों की चुप्पी भी देशभक्ति व राज्यभक्ति के दृष्टिकोण से दुर्भाग्यपूर्ण.
रांची : मोदी अंधभक्ति के अक्स में देश के सुपुतों की स्थिति यह हो चला है कि अब उन्हें देश व राज्यों की गरीमा की समझ का भी भान रहा है. उनकी देशभक्ति की समझ की प्राथमिकता में अब भारत तथा भारत का संविधान नहीं, केवल मोदी और उसका ढपोरशंख एजेंडा है. और बीजेपी और संघ की देशभक्ति का परिभाषा केवल अडानी-अम्बानी है. जिसके अक्स में देश के संवैधानिक संस्थानों और उपक्रमों को मरणासन पर धकेल दिया गया है और देश के सुपुत गोदी मीडिया के एजेंडों के अक्स में अंधभक्त बन उनकी महिमामंडन में लगे हैं.
उदाहरण के तौर पर, देश एक तरफ चाँद के साउथ पोल को छूने पर इतरा रहा है. मोदी सरकार तो इस उपलब्धि को चुनावी रथ माने बैठी है. लेकिन देश के उपलब्धि को बेस देने वाली,देश को कई जरुरी उपकरण देने वाली, हैवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन लिमिटेड, झारखण्ड (एचईसी) आज उसी मोदी सरकार के नीतियों के अक्स में मरणासन पर है. जिसके अक्स में न केवल एचईसी, देश और देश के योवओं का भविष्य भी अन्धकार में जाने को विवश है. और देशभक्त सुपुत मोदी सरकार से सवाल पूछने के बजाय उनकी ही अंधभक्ति में मस्त हैं.
भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर का बयान देशभक्ति से प्रेरित कैसे?
ऐसे में चहेते कॉरपोरेट्स को दोनों हाथों से देश लुटाने वाली मोदी सरकार के भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर का बयान ‘एचईसी को खुद के स्रोत से ही सभी बकाया देनदारियों को चुकाना होगा’, को क्या देशद्रोह द्रोह की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए. नासमझ या केंद्र सरकार की सामन्ती सोच पर जहाँ एचईसी के यूनियन मजदूरों में काफी रोष हैं, वहीं झारखण्ड के 15 भाजपा सांसदों के की चुप्पी और देश-राज्य के सुपुतों की अंधभक्ति भारत के अन्तरिक्ष उड़ान के राह में बड़ा रोड़ा नहीं?
क्या इस कृति को देशद्रोह की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए?
झारखण्ड को पहचान संरक्षण के लिए भाजपाई सांसदों मुंह में दो बोल तक नहीं
नासमझ या सामंती विचार तले मोदी सरकार और उसके मंत्री की लाचारी आरएसएस के नीतियों के अक्स में समझी जा सकती है, लेकिन झारखण्ड के भाजपाई सांसदों और अंधभक्तों की चुप्पी देश व् राज्य की अस्मिता पर छुरा घोपने के सामान है. एचईसी यूनियनों का कहना है कि आज जब एचईसी मर रहा है और मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री साफ़ पल्ला झाड़ रहे हैं. और भाजपा सांसदों के मुंह से दो बोल तक नहीं फूट रहे हैं. जिस संस्थान ने दशकों से झारखण्ड को एक पहचान दी है. झारखण्ड को पाला-पोसा है. उसे बचाने के लिए वह हर जतन करेंगे.
झारखण्ड हित की बात आती है, तो झारखण्ड भाजपा के सांसद हमेशा खामोश हो जाते हैं. और यह पहली बार भी नहीं है. वनभूमि पर निर्भर 77 लाख झारखण्डवासियों को अनदेखा कर वन अधिनियम में संशोधन का मसला हो, सरना धर्मकोड मसला हो, आरक्षण बढोतरी का मसला हो, या कोई भी झारखण्ड हित का मसला हो, सभी भाजपाई सांसदों ने मुंह छुपाया ही है. और अब जब देश में झारखण्ड की पहचान को गढ़ने वाली ‘मदर ऑफ़ ऑल इंडस्ट्रिज़’ कहे जानेवाले एचईसी को बचाने में मोदी सरकार की अनदेखा हो, तो ऐसे में खामोश रहना देशद्रोह करने के समान है.