भाजपा के राहों के कांटे मधुपुर उपचुनाव के रुझान में साफ़ दिखने लगे है

फर्जी बाबा निशिकांत दुबे को दलित बस्ती में खरी-खोंटी सुनना पड़ रहा है तो पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपने ही कार्यकर्ता से गो बेक जैसे शब्द – मधुपुर उपचुनाव में भाजपा के राहों के कांटे

लोकतंत्र में, भाजपा सांसद, निशिकांत दुबे दलित बस्ती में वोट मांगने जाए. और जवाब में सवाल मिले. बस्ती के लोगों की उस आक्रोशित तस्वीर में खरी-खोटी सुनाते हुए भड़ास निकालने का सच उभरे. और यही हश्र पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी हो. जहाँ स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता के विरोध में, सच उभरे कि उसके स्थानीय नेता राज पलिवार का टिकट उसी शख्स के इशारे पर काटा गया है. और अक्स में रघुवर दास गो बैक का नारा कार्यकर्ता लगाने न चूके. तो दलित हों, गरीब हों या भाजपा स्थानीय कार्यकर्ता, सालों भाजपा द्वारा हुई उनकी उपेक्षा की अभिव्यक्ति का हिस्सा भर हो सकता है. और भाजपा नेताओं को मधुपुर उपचुनाव में मुंह छुपा कर निकलना ही आखिरी सच हो सकता है.

तो भाजपा के राहों के कांटे के असल मायने क्या हो सकते हैं? दरअसल, भाजपा के फ्यूज गैंग व दलबदलुओं की स्वार्थी व बर्चस्व की राजनीति के प्रसार में स्थानीय नेता ख़ारिज हो रहे हैं. जिसके अक्स में साफ़ तौर पर भाजपा में अंदरूनी कलह का जन्म हो चूका है. जो झारखंड में भाजपा के सांगठनिक पतन की कहानी कह रहा है. और हासिये के छोर पर खड़ी दलित समाज का सच भाजपा सत्ता के दौर में हमेशा त्रासदी के चरम पर रही है. हाँ, यह समाज पहले बोल नहीं पाता था, लेकिन अब जुबान खोल अपनी त्रासदी बयान कर रहा है. ऐसे में मधुपुर उपचुनाव में उत्पन्न परिस्थितियां भाजपा के उस कलुषित मानसिकता का सच, उसका आईना भर है.

भाजपा के लिए डैमेज कंट्रोल करना असंभव

मसलन, मधुपुर उपचुनाव के मतदान का दिन ज्यों-ज्यों करीब आ रहा है, झटकों का जोर भाजपा पर बढ़ता जा रहा है. और अंतिम दौर में अब भाजपा के लिए डैमेज कंट्रोल करना असंभव हो गया है. भले भाजपा दौलत के चकाचौंध से उभरे तत्कालीन रुझानों के आसरे जीत के दावे कर रहा हो, लेकिन उसे ज़मीनी हकीकत ज्ञात है कि वह जीत से दूर हो चुकी हैं। जिसकी छाप फ्यूज गैंग के पत्रवीरों के चेहरों पर शिकन के तौर पर दिखने भी लगा है. तभी तो झूठ से तनिक भी परहेज नहीं किया जा रहा. 


जबकि, मधुपुर में समाज के सभी वर्गों का समर्थन झामुमो प्रत्याशी हफीजुल हसन को प्राप्त होने के अक्स में झलके कि जनता मंत्री के रूप उनमे अपने क्षेत्र की विकास देख रही है. तो झामुमो के जीत की हैट्रिक से इनकार नहीं किया जा सकता. और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मधुपुर में मौजूदगी से जहाँ झामुमो कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिली है। तो वहीं आम जनता के सवालों को वाजिब जवाब मिला है. सहयोगी दल- कांग्रेस, राजद, वाम दलों के सहयोग से भी तमाम चहुदियाँ एक बंधन में बंध चुकी है।

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