बीजेपी आइडिऑलॉजी ने देश में ‘ऐक्ट ऑफ फ्रॉड’ को ‘ऐक्ट ऑफ गॉड’ बोल जिम्मेदारी से भागने की संस्कृति को दिया है जन्म. मच्छु नदी पूल मामला कोई नया नहीं, झारखण्ड में बीजेपी शासन में कोनार बांध उद्घाटन के दूसरे दिन ढहा था, नवनिर्मित विधानसभा इमारत की भी स्थिति जर्जर.
रांची : देश में बीजेपी शासन का कर्तव्य व जिम्मेदारी से भागने की नई तस्वीर सामने आई है. चाहे नोट बंदी में आम जन की मौत का मामला हो, लॉकडाउन के विभीषिकाओं के बीच हुए मौत का मामला हो, महंगाई, बेरोजगारी या डूबती अर्थव्यवस्था से तरस्त देश का मामला हों, सभी परिस्थितियों में तमाम बीजेपी शासन का गॉड के सर अयोग्यता मढ़ने का सच सामने है.
ज्ञात हो, गुजरात वह प्रदेश है जिससे भारत देश के प्रधानमंत्री का अमिट पहचान जुड़ा है. वर्तमान में भी प्रदेश के राजनीति में पीएम का दखल स्पष्ट देखा जाता है. भारत देश के प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार पर कार्रवाही की बात मंचों करते देखे जाते है. हालांकि उनकी कार्रवाही केवल गैर बीजेपी शासित राज्यों में ही देखी गई है. अब इस तथ्य जनता जैसे मर्जी समझ सकती है. ऐसे उदाहरणएक बार फिर देश के समक्ष है.
जैसे झारखण्ड के नवनिर्मित कोनार बांध को भ्रष्टाचार ने नहीं चूहों ने ढहाया, वैसे ही मच्छु नदी पूल हादसा ऐक्ट ऑफ फ्रॉड नहीं ऐक्ट ऑफ गॉड
प्रधानमंत्री के गृह राज्य, गुजरात के मोरबी शहर में स्थिति मच्छु नदी पर बनी सदियों पुरानी पूल, मरम्मती के बाद गिरना बीजेपी शासन के भ्रष्टाचार की स्पष्ट तस्वीर पेश करती है. बीजेपी शासन की यह कोई नई तस्वीर नहीं है. ज्ञात हो, झारखण्ड के बीजेपी शासन में बनी कोनार बांध दूसरे दिन ही ढह गई. झारखण्ड में ही विधानसभा की इमारत की भी ऐसी ही स्थिति है.
क्या यह महज इत्तेफाक है कि दोनों राज्य में आदिवासी-दलित या बहुजनों की संख्या अधिक है? जैसे झारखण्ड में भूख से मारे लोग बीमारी से मरे, नवनिर्मित कोनार बांध को भ्रष्टाचार ने नहीं चूहों ने ढहाया. विधानसभा इमारत की छत गिरना आकस्मिक था. ठीक वैसे ही नव मरम्मत सदियों पुरानी मच्छु नदी पर हुआ पूल हादसा ‘ऐक्ट ऑफ फ्रॉड’ नहीं ‘ऐक्ट ऑफ गॉड’ है. और इसके अपराधी भी भ्रष्टाचार नहीं पूल पर जान गँवाने वाले लोग ही थे.
बीजेपी नेता केवल गैर बीजेपी शासित राज्यों में ही क्यों दिखते है सक्रिय
वर्तमान में बीजेपी नेताओं के व्यक्तिव का दिव्य दर्शन भी देश को देखने को मिल है. ज्ञात हो, झारखण्ड जैसे गैर बीजेपी शासित राज्य में, देवघर जिले में जब रोपवे जैसी दुर्घटना घटी थी. सीएम, मंत्री समेत पूरा सरकारी महकमा राहत कार्य में खुद को झोंक दिया था. उस व्यक्त बीजेपी नेताओं में गजब की सक्रियता दिखी थी. बीजेपी नेता व उसका आईटी सेल राहत कार्य के बीच भी पानी पी-पी कर सरकार को कोसते देखे गए.
ज्ञात हो, झारखण्ड सरकार द्वारा उस रोपवे हादसे मामला में न केवल त्वरित संज्ञान लिया गया बल्कि पीड़ितों को तत्काल मुवावजा भी दिया गया. लेकिन इन बीजेपी नेताओं का यह सक्रियता न तो भाजपा शासित में हुए बाहुजन प्रताड़ना के उपरांत दिखती है और न अब मच्छु नदी पूल हादसे में दिखी है. न जाने ऐसे मामलों में बीजेपी के तमाम नेताओं के शब्द कोस क्यों छोटे पड जाते हैं. इनकी दरियादिली भी अचानक पोखर भर भी प्रतीत नहीं होता है.
मच्छु नदी पूल हादसा रिपोर्ट्स
रविवार, 30 अक्टूबर 2022 मच्छु नदी पर बनी सदियों पुरानी पूल मरम्मती के बाद महज 5 दिनों में टूट कर जलमग्न हो गया. अपने साथ 141 आम लोगों की जान लील लिया. रेपोर्ट्स के मुताबिक जब पूल टूट तो उसपर सैंकड़ों लोग मौजूद थे. नदी के तीर (किनारे) पर खड़ी जनता केवल पूल का टूटना भर ही देख सकते थे. महत्वपूर्ण तथ्य –
- सरकार के द्वारा ओरेवा नाम के एक निजी ट्रस्ट को टेन्डर दिया गया था. जिसका नाम FIR कॉपी में दर्ज तक नहीं होना बज जा रहा है.
- अधिकारियों के अनुसार पूल नवीनीकरण के बाद 26 अक्टूबर 2022 को आम लोगों के आवागमन के लिए खोला गया.
- आरोप है कि बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के ही पुल को खोला गया.
- जिला कलेक्ट्रेट की वेबसाइट पर पुल के विवरण में लिखा गया था कि, “यह एक ‘इंजीनियरिंग का चमत्कार’ था.
- वीडियो वाय ल कर बताया जा रहा कि पूल पर सवार लोगों को पुल पर कूद और दौड़ रहे थे जिसे केबल ब्रिज हिलता नजर आया.
- गुजरात के श्रम और रोजगार राज्यमंत्री बृजेश मेरजा हैरानी जाहिर कर पल्ला झाड़ते दिखे.
- बताया जा रहा कि अनुभवहीन कॉम्पनी को दिया गया था टेन्डर.