झारखण्ड नक्सल : बीजेपी बकोरिया कांड बनाम राज्यपाल के द्वारा हेमन्त सत्ता की सराहना 

सीएम हेमन्त सोरेन का विकास के आसरे नक्सल मुक्त झारखण्ड का घोषणा और राज्यपाल के द्वारा नक्सल खात्में को लेकर हेमन्त सरकार की सराहना, सीएम के कथनी-करनी एक होने व उसपर अडिग रहने का पुष्टि करता है.

रांची : फासीवाद के शोषण से नक्सलवाद का उदय होता है. लेकिन दोनों का अंतिम सत्य हिंसा व गरीबों का दोहन ही होता है. दोनों ही विचार झारखण्ड के सत्ता पर गठन काल से प्रभावी रहे हैं. यही वह कारण है जिसके अक्स में पूर्व की बीजेपी सत्ताओं में नक्सल खात्मे के आड़ में न केवल गरीब मूल भुत अधिकार से वंचित हुए, बेक़सूर आदिवासियों की बकोरिया, बास्के काण्ड जैसे प्रकरण के आड़ में हत्याएं हुई. और, झारखण्ड की मूल जनता अंततः इसका मूल्य चुकाती रही है. 

झारखण्ड नक्सल : बीजेपी बकोरिया कांड बनाम राज्यपाल के द्वारा हेमन्त सत्ता की सराहना

ज्ञात हो, बीजेपी के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बेटे की हत्या नक्सल ने की थी. लेकिन उस बीजेपी सरकार में राज्य के पहले सीएम के बेटे तक को न्याय न मिल पाना राज्य की उस भयावह स्थिति को बयान कर सकता है. ऐसे में झारखण्ड के महामहिम राज्यपाल के द्वारा नक्सल खात्मे को लेकर हेमन्त सरकार की सराहना करना, न केवल बूढा पहाड़ की भांति राज्य के मूलवासियों की 20 वर्षों के त्रासदी पर महरम लगाती है. हेमन्त सत्ता में राज्य की बेहतर परिस्थिति को भी दर्शाता है.

गृह मंत्री के समक्ष विकास के आसरे नक्सल मुक्त झारखण्ड का सीएम का घोषणा हो रहा सच 

26 सितम्बर 2021, गृह मंत्री की अध्यक्षता में नक्सल प्रभावित राज्यों के सीएम के साथ बैठक हुई थी. जिसमें सीएम हेमन्त के द्वारा विकास के आसरे नक्सल मुक्त झारखण्ड की घोषणा हुई थी. बैठक में सीएम ने कहा था -राज्य में नक्सल संगठनों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई हो रहे है. नक्सल सीमित क्षेत्रों में ही बचे है. वह भी समाप्ति पर है. ऐसे में राज्यपाल का नक्सल खात्में को लेकर हेमन्त सरकार की सराहना करना सीएम का अपने कथनी-करनी पर अडिग होने का स्पष्ट पुष्टि करती है.

सीएम हेमन्त सोरेन योजनाओं को धरातल पर उतारने में हुए सफल

झारखण्ड में नक्सल को पनपने के लिए खाद-पानी पूर्व की बीजेपी सत्ताओं की नीतियों ने ही दिया. बीजेपी के पूर्व सरकारों की नीतियों के अक्स में राज्य के ग्रामीण इलाकों में विकास नगण्य रहा. योजनाओं का लाभ मूलवासियों तक पहुँचने के बजाय बाहरियों तक पहुंची. साथ ही पुलिसाया दबिस ने शेष बची आशाएं भी ख़त्म कर दी थी. लेकिन सीएम हेमन्त की नीतियां व धरातल पर जनता के जरुरत के हिसाब से पहुंचती योजनायें झारखण्ड को नक्सल जैसे अभिशाप से मुक्ति दे रहा है. 

ज्ञात हो, हेमन्त शासन में शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, स्वरोजगार, नियुक्ति, खेल व पर्यटन नीति, सहाय जैसे योजनाओं के बेहतर प्रबंधन से यह कायकल्प संभव हुआ है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की पहचान बदलने लगी है. हेमन्त सरकार की नई पर्यटन नीति जहां राज्य के अनछुए इलाकों को सवार स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार दे रहा है. तो वहीं सहाय जैसे योजना इन क्षेत्रों के युवाओं में छिपी खेल प्रतिभा को निखार मंच दे रहा है. साथ ही यहां हो रहे अन्य विकास कार्य राज्य से नक्सल की जड़ें उखाड़ रहा है.

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