झारखण्ड : दिशोम गुरु शिबू सोरेन के व्यक्तित्व के अक्स में गुजरात लॉबी का इडी के आसरे आदिवासी सीएम की गिरफ्तारी का प्रयास, जिसकी भूमिका हेमन्त सोरेन ने स्वयं तैयार कर दी है, साबित होगी बीजेपी की ऐतिहासिक भूल.
रांची : झारखण्ड प्रदेश की राजनीति के अक्स में आदिवासी सीएम हेमन्त सोरेन का दाव-पेंच बीजेपी पर भारी रहा है. जिसके अक्स में झारखण्ड बीजेपी ने न केवल रघुवर सत्ता खोई, राज्य की मूल समस्याओं के कैनवास पर गुजरात लॉबी की नीतियों तले अपनी राजनीतिक ज़मीन भी खो दी है. ज्ञात हो, झारखण्ड में बीजेपी न केवल झारखण्ड की चुनी हुई हेमन्त सरकार को गिराने में विफल हुई, धीरे-धीरे सीएम हेमन्त के ट्रैप में भी पूरी तरह से फंसती चली गयी.
ज्ञात हो, झारखण्ड के राजनीतिक ज़मीन पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन के व्यक्तित्व का विशाल प्रभुत्व है. और यह राज्य एससी, एसटी, पिछड़ा, अल्पसंख्यक और गरीब बाहुल्य भी है. मसलन, इडी जांच के अक्स में सीएम हेमन्त सोरेन के लिए रणनीति बनाना आसान हो गया. सीएम हेमन्त एक तरफ इडी का दहलीज पार की, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और अब हाई कोर्ट पहुँच कॉलिजियम गठजोर का पर्दा करने की तैयारी में हैं. वहीं दूसरी तरफ राज्य की आम जन, युवा, शिक्षा, आर्थिक समस्या से लेकर कर्मचारी एवं पुलिस विभाग तक की समस्याओं को हल निकाला.
विशेषकर झारखण्ड समेत देश भर के आदिवासी-दलित की समस्याओं को प्राथमिकता बनाई. तमाम परिस्थितियों के बीच सीएम हेमन्त सोरेन राज्य वासियों के बीच राज्य की बेहतर भविष्य आधारित व्यवस्था की असरदार तस्वीर पेश करने सफल हुए. राज्य के सभी वर्ग की जनता ने शांति के अक्स में अपनी एवं पीढ़ियों की एक बेहतर तस्वीर देख रहे हैं. राज्य ने न केवल अपने महापुरुषों के संघर्ष की भावना को समझा है. दिशोम गुरु की उपस्थिति तक को विकास से भी जोड़ा है.
झारखण्ड में हेमन्त सोरेन का राजनीतिक दाव बीजेपी पर भारी क्यों
ज्ञात हो, गुजरात लॉबी की नीतियों के अक्स में झारखण्ड में झारखण्डपरस्त और मौकापरस्त नेताओं के बीच बीजेपी आंतरिक कलह से जूझ रहा है. यह लगभग हर उपचुनाव में छुपाने के बावजूद उभर कर सामने आया है. हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड में आर्थिक विकास पर ध्यान दिया और राज्य के आर्थिक स्थिति आरबीआई और कैग के रिपोर्ट के बावजूद बेहतर रही. जिसके अक्स में कई बीजेपी नेता तो हेमन्त सोरेन के समर्थन में भी दिखे.
सीएम हेमन्त ने कई विकास परियोजनाओं को शुरू किया. इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि इन परियोजनाओं से राज्य में रोजगार के अवसर बढ़े. जिससे जनता के बीच उनकी सकारात्मक छवि बनी. झारखण्ड में आदिवासी-दलित, पिछड़े एवं गरीब आबादी का बड़ा हिस्सा उनके साथ आये. हेमन्त सोरेन ने देश भर के आदिवासियों की वर्तमान त्रासदी पर भी विशेष ध्यान दिया. आदिवासी महोत्सव की सफलता तथ्य के स्पष्ट उधाहरण हो सकते हैं. इससे आदिवासियों में उनके प्रति सहानुभूति बढ़ी है.
हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड की बड़ी समस्या बेरोजगारी को दूर करने पर ध्यान दिया. उन्होंने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कई योजनाएं शुरू की. उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की. सरकारी सेवाओं में सुधार के लिए कई प्रयास किए. सरकार आपके द्वार की सफलता इस फेहरिस्त के प्राथमिक अंग है. उन्होंने सरकारी कार्यालयों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए कर्मचारियों की समस्या हल करने जैसे कई कदम उठाया.
मौजूदा दौर में देश में बीजेपी ढलान पर है महागठबंधन उफान पर
देश के वर्तमान सामन्ती राजनीतिक परिदृश्य में सीएम हेमन्त सोरेन झारखण्ड समेत देश भर के आदिवासी वर्ग के बीच सरदार जन नेता के रूप में उभरे हैं. जहाँ एक तरफ देश भर में आदिवासी आरक्षित सीटों पर हुए चुनावों-उप चुनाओं में बीजेपी का सुफडा साफ़ हुआ है, वहीं देश भर के आदिवासियों की सीएम हेमन्त सोरेन से नजदीकी बढ़ी है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि देश की राजनीति में बीजेपी गठबंधन ढलान पर है तो इण्डिया गठबंधन उफान पर है.
कहते हैं कि तूफ़ान बढ़ रहा हो तो बची ताक़त को समेट कर तूफ़ान गुजरने का इन्तजार किया जाता है. लेकिन, यहाँ गुजरात लॉबी की ढिठाई बीजेपी को तूफ़ान में धकेल रही है. ऐसे में यदि आदिवासी नेता हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी होती है, जिसकी भूमिका हेमन्त सोरेन ने लगभग तैयार कर दी है, तो बीजेपी उनके ट्रैप में फंस आगामी आम चुनाव में अपनी बची खुची आस खो देंगे. बीजेपी से नाराज़ देश का 12 करोड़ से अधिक आदिवासी आबादी को दिशोम गुरु शिबू सोरेन के व्यक्तित्व के अक्स में उग्र होने की परिस्थिति बीजेपी खुद ही नहीं पैदा कर देगा. ऐसे में क्या हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी बीजेपी राजनीति की ऐतिहासिक भूल साबित नहीं होगी?