जेलों में बंद कैदियों को सम्मान देने के साथ उनके कुशलता का उपयोग भी करना चाहते हैं मुख्यमंत्री

हेमंत सरकार देश की पहली सरकार, जो बच्चों के बीच जागरूकता के लिए जेलों में बंद कैदियों कैदियों के बने कॉपी का लेना चाहती है उपयोग 

रांची। हेमंत सरकार देश में पहली ऐसी सरकार बन गयी है कि जो पूरे कोरोना काल में इन कैदियों को सम्मानजनक स्थिति देने के साथ उनके कुशलता का समुचित उपयोग करने की पहल शुरू की है। दरअसल झारखंड की सत्ता में आये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अभी एक साल भी पूरे नहीं हुए है। लेकिन मुख्यमंत्री समाज के हर वर्ग को उनका सम्मान पहुंचना चाह रहे है। ऐसे लोगों में जेलों में बंद कैदी भी शामिल है। कोरोना वायरस से लड़ाई में ऐसे सजाफ्ता कैदियों की मदद लेकर हेमंत सरकार ने इसकी शुरूआत पहले ही कर दी थी। अब ऐसे कैदियों को शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने की घोषणा उनके लिए सम्मान से कम नहीं है। इसके साथ मुख्यमंत्री ने जेल से छुटे बुजुर्ग कैदियों को पेंशन देने की पहल कर उनके आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाने का काम शुरू किया है।  

हेमंत की पहल से ही कैदियों ने मास्क और सेनेटाइजर निर्माण में दिया है योगदान

मुख्यमंत्री की पहल का यह परिणाम है कि कोरोना काल में लड़ाई में इन कैदियों ने अपना सहयोग दिया। ऐसा कर उन्हें समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा गया। सरकार के निर्देश के बाद राज्य के जेलों में बड़े पैमाने पर मास्क तैयार किया गया। शुरूआत चरणों में कैदियों द्वारा बनाये करीब 10,000 मास्क रिम्स प्रशासन और अलग-अलग जिलों की पुलिस को दिया गया, वह भी निःशुल्क। राज्य के पांचों सेंट्रल जेल रांची, हजारीबाग, दुमका, पलामू और घाघीडीह (जमशेदपुर) सहित प्रस्तावित सेंट्रल जेल देवघर ,गिरिडीह, खूंटी, गुमला और सिमडेगा जेल में कैदियों ने मास्क बनाया। इसके अलावा राज्य के तीन जेलों बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा (रांची), जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा (हजारीबाग) व खूंटी जेल में कैदियों ने सेनिटाइजर भी बनाया। 

जेलों में बंद कैदियों द्वारा बने कॉपी में सरकार देगी जागरूकता की जानकारी

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने एक बडा फैसला किया है। सीएम ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कक्षा 1 से 8 तक वितरित की जाने वाली कॉपी अब संबंधित जिला में बने जेल के कैदियों से बनाया जाएगा। इन कॉपी के बीच के पन्नों में सरकार जागरूकता से संबंधित जानकारी बच्चों को देगी।

बुजुर्ग कैदियों को पेंशन देने की अनूठी पहल 

राज्य की विभिन्न जेलों में बंद बुजुर्ग कैदियों को पेंशन देने की अनूठी पहल मुख्यमंत्री ने की है। उनका मानना है कि इससे इन कैदियों को जेल से छुटने में आर्थिक तौर पर ज्यादा परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। हेमंत सरकार इन कैदियों को उनके कार्य की एवज में मिलने वाले लाभ के अतिरिक्त अलग से पेंशन का लाभ देना चाहती है। इसके लिए उन्होंने आला अधिकारियों को त्वरित गति से कार्रवाई करने की बात की है। 

हेमंत की पहल से अब जेलों में बंद कैदियों को मिल सकेगा निःशुल्क कानूनी सहायता व अधिवक्ता

हेमंत सरकार की ही यह पहल है कि राज्य में सभी लोगों (इसमें जेलों में बंद कैदी लोग भी शामिल हैं।) को किसी तरह के कानूनी सहायता निःशुल्क मिल सकेगा। दरअसल बीते संविधान दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) द्वारा “एक्सेस टू जस्टिस फॉर ऑल” एप का उद्घाटन किया। इसके जरिए निःशुल्क कानूनी सहायता या मुकदमा लड़ने के लिए अधिवक्ता की मदद मिल सकेगी।

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