पीएम के मंच पर बाबूलाल की उपस्थिति किस विशेषाधिकार के तहत?

झारखण्ड : धरती आबा बिरसा मुंडा जन्म दिवस कार्यक्रम के मंच पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन के अनुपस्थिति और बाबूलाल मरांडी कि उपस्थिति आखिर किस विशेषाधिका के तहत रही. यदि वह पूर्व सीएम के हसियत से थे तो फिर गुरु जी की बेअदबी क्यों?  

रांची : देश के पीएम ने एक फिर साबित किया कि वह देश के नहीं केवल बीजेपी के पीएम हैं. और झारखण्ड के साथ उनका सौतेला रवैया हर परिस्थिति में जारी रहता है. चाहे एक आदिवासी सीएम पीएम के स्वागत में खुद को ही क्यों ना झोंक दे, उनकी सोच आरएसएस की सामन्ती विचारधारा से ऊपर नहीं उठ सकती है. ज्ञात हो, सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा सभी वैचारिक मतभेद से इतर देश के प्रधानमंत्री पद को सुरक्षा व्यवस्था से लेकर तमाम उचित संवैधानिक सामान दिया गया. 

पीएम के मंच पर बाबूलाल की उपस्थिति किस विशेषाधिकार के तहत?

ज्ञात हो, झारखण्ड स्थापना दिवस और धरती आबा बिरसा मुंडा के जन्म दिवस के अवसर पर बतौर प्रधानमंत्री मोदी का आगमन 14 नवम्बर 2023 के रात्री में झारखण्ड प्रदेश में हुआ. यह एक सरकारी कार्यक्रम था. लेकिन, दो परिस्थितियों ने राज्य को अचंभित किया. पहली उनके कार्यक्रम मंच पर बाबूलाल मरांडी की उपस्थिति और दूसरा उस मंच पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन की अनुपस्थिति रही. वह आमंत्रित नहीं था. ऐसे में केंद्र सरकार को जनता को बताना चाहिए ऐसा कैसा संभव हुआ?

बाबूलाल मरांडी आखिर किस विशेषाधिकार से मंच पर उपस्थित रहे? यदि उनकी उपस्थिति राज्य के पूर्व सीएम के रूप में रही. तो फिर यह विशेषाधिकार दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भी प्राप्त था. ज्ञात हो, वर्तमान में दिशोम गुरु न केवल राज्य के सबसे बड़े आइकॉन है, सांसद भी हैं. अलग झारखण्ड आन्दोलन के अक्स में पीएम मोदी के भाषण में केवल अटल सरकार की बड़ाई और झारखण्ड आन्दोलन के अगुआ गुरु जी को सिरे से गौण होना, आरएसएस-बीजेपी विचारधारा का स्पष्ट दर्शन है.

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