केन्द्रीय सत्ता के वकील, बाबूलाल मरांडी को अपने ही आरोप पर है शक, वरना नहीं कहते कि “अधिकारी ऐसा कर रहे हैं तो…
16 सालों से उनका तंज बीजेपी नेता नहीं भूले, पार्टी में नहीं मिल रहा सम्मान, तो मोदी-शाह को खुश करने की कर रहे हैं प्रयास
रांची : झूठ, धोखेबाजी व भ्रम की राजनीति से जनता को गुमराह करने वाली बीजेपी और बीजेपी नेता ने झारखण्ड में फिर एक षड्यंत्र का सहारा लिया है. बाबूलाल मरांडी, राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के मोबाइल को सर्विलांस में रखने की फैला रहे हैं अफवाह. इस अफवाह का सहारा लेने की असल वजह, केंद्र की मोदी सरकार की देश विरोधी इरादों से ध्यान भटकाना भर हो सकता है. और राज्य की 3.25 करोड़ से अधिक जनता के हित के काम कर रही हेमंत सरकार को बदनाम करना हैं.
बाबूलाल मरांडी द्वारा एक सोची समझी राजनीति के तहत झारखंड सरकार पर आरोप लगाया गया है. आरोप में कहा गया है कि इन दिनों राजनैतिक पूर्वाग्रह के कारणों से झारखण्ड में छोटे-बड़े राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के मोबाइल को सर्विलांस पर रखा गया है. उनका कॉल डीटेल निकाला जा रहा है. नेताओं के लोकेशन ट्रैक किये जा रहे हैं. विपक्षी नेताओं की रेकी कराने जैसा काम इन दिनों तेजी से किया जा रहा है.
लेकिन, अफवाह में दिलचस्प पहलू यह है कि आरोप लगाने से पहले बीजेपी नेता ने कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया. शब्दों में तानाशाही जरुर दिखी – “अधिकारी अगर ऐसा कर रहे हैं, तो……” ) से साफ है कि वे झूठ बोल रहे हैं. दरअसल, बाबूलाल मरांडी की इस साजिश की असली वजह कुछ और नहीं बल्कि मोदी सरकार के संरक्षण में हुई “पेगासस जासूसी कांड” से झारखंडी जनता का ध्यान भटकाना चाहते हैं.
देशभक्ति को चोला के पीछे बीजेपी नेताओं के देशविरोधी गतिविधियों का जीवंत साक्ष्य है, “पेगासस जासूसी कांड”
ज्ञात हो, पेगासस जासूसी कांड की साजिश अब छुपा मामला नहीं है. यह एक देशविरोधी गतिविधि है, जो देशभक्ति का चोला ओढ़े भाजपा नेताओं के देशविरोधी गतिविधियों का एक जीवंत साक्ष्य है. यह जासूसी कांड इजरायली कंपनी NSO के पेगासस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए जाने से जुड़ा हैं.
इस कांड का खुलासा संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत के एक दिन पहले ही हुआ है. दावा किया जा रहा है कि जासूसी कांड में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं, पूर्व निर्वाचन आयुक्तों, सुप्रीम और हाईकोर्ट के कुछ जजों, पत्रकारों सहित कई सम्मानित लोगों के चोरी-छुपे फोन टैप किए गए. विगत दिनों संसद का मानसून सत्र भी पेगासस मुद्दे की ही भेंट चढ़ा है. विपक्ष की तमाम मांगों के बावजूद मोदी सरकार ने मुद्दे पर संसद में बहस करना उचित नहीं समझा.
अपने साख को मजबूत करना चाहते है बाबूलाल, वरना उन्हें तो आज बीजेपी में ही कोई नहीं पूछ रहा
आज जब मोदी सरकार पूरी तरह से घिर गयी है, तो बाबूलाल झारखंड सरकार पर जासूसी कराने का आरोप लगाकर, केंद्र के समक्ष छवि मजबूत करने की साजिश रच रहे हैं. यह सभी जानते हैं कि करीब 15 साल जेवीएम सुप्रीमो रहते बीजेपी नेताओं पर जितना तंज बाबूलाल ने कसा, शायद ही बीजेपी का कोई नेता अभी तक भूला हो. भले ही वे इस साल भाजपा में दोबारा शामिल हो गये, पर आज भी उन्हें प्रदेश बीजेपी नेताओं द्वारा स्वीकारा नहीं गया है. यही कारण है कि बाबूलाल ने साजिश के तहत हेमंत सरकार पर आधारहीन आरोप लगाया है. ताकि ऐन-केन-प्रकारेण मोदी सरकार को वे खुश कर सके.
कोई प्रमाण तो नहीं दिया, हां अधिकारियों को फिर धमकी जरूर देते दिखे बाबूलाल
बाबूलाल ने भले ही यह आरोप लगाया कि झारखंड में इन दिनों राजनैतिक पूर्वाग्रह के कारण विपक्षी नेताओं के मोबाइल निगरानी में हैं, लेकिन उन्होंने अपने इस आरोप का कोई प्रमाण नहीं दिया. केवल उन्होंने “चर्चा” शब्द का जिक्र किया. लेकिन आधारहीन आरोप के साथ बाबूलाल ने एक काम यह जरूर किया, जो आज बीजेपी नेताओं के खून में घुलमिल गयी है.
उन्होंने अधिकारियों को धमकी जरूर दे दिया कि अगर वे ऐसा कर रहे हैं, तो इन हरकतों से बाज आये. निशिकांत दूबे, रघुवर दास के बाद, बीते दिनों बाबूलाल द्वारा अधिकारियों को लगातार धमकी देने से साफ है कि आज बीजेपी नेताओं के आचरण में यह घुलमिल गया हैं. बाबूलाल ने जैसा कहा कि “अधिकारी अगर ऐसा कर रहे हैं, तो…….” से साफ संकेत है कि सरकार पर लगाये अपने ही आरोप पर उन्हें शक हैं.