बाबूलाल के व्यक्तित्व में भेद के सत्य को मुख्यमंत्री ने सदन में उभारा

जेवीएम के बाबूलाल और भाजपा के बाबूलाल के व्यक्तित्व का भेद आदिवासियों के पीठ में छुरा घोपने के रूप में उभरा

कैसे बांची जान हो – लोक गीत रात के अंधेरे में झारखंडी जंगलों में, पत्ते, केंद, दातुन, करंज, जामुन, महुआ चुनते झारखंडी महिलाओं के बीच का यथार्थ हो। और सदन में मुख्यमंत्री हेमंत कहे कि 2014 में राज्य में प्रति व्यक्ति कर्ज 12000 हजार 2019 में बढ़कर 24000 हो गयी। 11 लाख राशनकार्ड कार्ड रद्द कर दिए गए। 400 करोड़ बजट का लालपुर फोरलेन का सर्वे सच महज 70-80 करोड़ है। केवल 160 गाड़ियों की पार्किंग व्यवस्था में 40 करोड़ खर्च कर दी जाए। देश की विकास गति की तुलना में हमारा राज्य इतना पीछे है जहाँ पहुँचने में 10-15 साल लगने का सच सामने है। तो झारखंड में भाजपा की डबल इंजन सरकार का वर्तमान में दयनीय सच समझा जा सकता है।

मुख्यमंत्री का वक्तव्य बाबूलाल मरांडी के संघीय मानसिकता पर सवाल उठाये। जहाँ उनके वह दो व्यक्तित्व का पर्दाफाश हो। जिसके अक्स में जेवीएम के बाबूलाल और भाजपा के बाबूलाल के व्यक्तित्व में भेद हो। जहाँ भाजपा के बाबूलाल का सच आदिवासियों के पीठ पर छुरा घोंपने के व्यक्तित्व के रूप में उभरे। और मुख्यमंत्री जब कहने से न चूके कि आदिवासियों का अस्तित्व आदिकाल में रहा। महाभारत-रामायण में भी इस समुदाय का अस्तित्व रहा है। एकलव्य के हकीकत भी शोषण के उसी सच से जा जुड़े। तो सवाल यहीं से बड़ा होता है कि क्यों आदिवासियों को जनगणना पृष्ठ में कोलम नहीं मिलना चाहिए? और यहीं से भाजपा के विपक्षी वैचारिक सच को भी समझा जा सकता है।

मसलन, जहाँ अधिकार के एवज में युवा को रौंदने के लिए तानाशाही रवैया। जहाँ रघुवर सत्ता की नीतियां JPSC और JSSC को परीक्षा न लेने दे। नियुक्ति का  पेंच भी उसी सत्ता द्वारा बाहरियों के लाभ पहुंचाने के मद्देनजर फंसा दिए जाए। वहां मौजूदा सत्ता का सच तमाम पेंच को सुलझाने वाली इकाई के रूप में झलके। जिसकी तमाम योजना का जुड़ाव झारखंडी ज़मीनी समस्याओं के हल से जा जुड़े। जिसके अक्स में महिलाओं का आत्मनिर्भरता का सच, झारखंडी युवाओं के रोजगार के मद्देनजर खनन, पर्यटन, बंद उद्योग जैसे तमाम दिशाओं में बड़ी रेखा खीची जाए। तो निश्चित रूप से झारखंड के उज्जवल भविष्य का तस्वीर देखी जा सकती है।    

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