आत्‍मनिर्भरता की ओर झारखण्‍ड, हड़िया-दारू से इतर महिलायें बना रही है अलग पहचान

महज चार माह के भीतर ही मौजूदा सरकार को उनके दूरगामी सोच के परिणाम सफलता के रूप में हासिल होने लगे – दस हजार से अधिक महिलाएं हड़िया-दारू बेचना छोड़ योजना का लाभ उठा आत्मनिर्भर बन रही है…

राज्‍य भर की हाट-बाजारों में हड़िया-दारू बेच परिवार का जीवन-यापन करने वाली झारखंडी महिलायें, यदि सरकारी योजना का लाभ ले अपनी अलग पहचान गढ़ने लगे, तो निश्चित रूप यह किसी सरकार के लिए उपलब्धि हो सकती है। और उस बेटे-भाई के लिए गर्व का पल हो सकता है जिसने अपनी माँ-बहनों की जीवनशैली में अमूल-चूल परिवर्तन कर गरिमामयी बनाने में लगातार प्रयत्नशील हो। 

झारखंड राज्य में कुछ ऐसा ही देखा सकता है, जहाँ पूर्ववत भाजपा सरकार की पितृसत्तात्मक सोच के मद्देनज़र आदिवासी-मूलवासी महिलाएँ हड़िया-दारू बेचने से इतर अपनी जीवन की परिकल्पना ही नहीं कर पायी। अलग झारखण्‍ड गठन होने के बाद भाजपा के तीन मुख्‍यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा व रघुवर दास इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हो सकता है। लेकिन, मौजूदा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन महिलाओं की इस त्रासदी को कोढ़ मानते हुए, उन्हें इस दलदल से निकालने में जुटे रहे।

हेमंत सोरेन सत्ता में क़ाबिज़ होते ही, महिला त्रासदी के मातहत फूलो-झानो आर्शीवाद नामक कल्‍याणकारी योजना को संकट काल में सफलता पूर्वक धरातल पर उतारा। इस योजना के तहत राज्य की हडिया-दारू बेचने वाली महिलाओं को विशेष प्राथमिकता देते हुए चिन्‍हित कर जोड़ने का सिलसिला प्रारंभ हुआ। महज चार माह के भीतर ही मौजूदा सरकार को उनके दूरगामी सोच के परिणाम सफलता के रूप में हासिल होने लगी। अबतक दस हजार से अधिक महिलाएं हड़िया-दारू बेचना छोड़ हेमन्‍त सरकार की योजना से जुड़ लाभ उठा रही है। 

महिला त्रासदी के मातहत फूलो-झानो आर्शीवाद बना तारणहार 

मसलन, मुख्यमंत्री के सकारात्मक प्रयास से राज्य की महिलायें हड़िया-दारू बेचने के कलंक को धोते हुए आत्‍मसम्‍मान के साथ अपनी दुकानें चलाकर परिवार का पोषण कर पा रही हैं। अब राज्य की महिलाओं को ताना नहीं सहना पड़ता था कि वह हड़िया बेचकर वे परिवार चलाती है। बल्कि महिलाएं आत्‍मनिर्भ हो सर उठाकर झारखण्ड विकास में भागीदार बन सफलता के झंडे गाड़ रही है। निश्चित रूप से हेमन्त सरकार की ऐसे मानवीय कदम की सराहना होनी चाहिए। 

महिला आत्मनिर्भरता की राह में पलाश ब्रांड अदा कर रही है बड़ी भूमिका 

हेमन्त सरकार की फूलो झानो आर्शीवाद योजना के अलावे पलाश ब्रांड जैसे देसी बाजार भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सकारात्मक भूमिका अदा कर रहा है। राज्‍यभर के 10 जिलों में खुले पलाश ब्रांड मार्ट से अपने उत्पाद के साथ दो लाख महिलाएं जुड़कर अपनी आर्थिक स्थितियों में सुधार कर चुकी है। ज्ञात हो कि पिछले दो माह में ले यह मार्ट  डेढ़ करोड़ का कारोबार हो चुका है। पलाश ब्रांड के विभिन्‍न उत्‍पादों की पैकेजिंग से लेकर ब्रांडिंग करने तक के कार्यों में महिलाएं  भागीदारी निभा रही है।  मुख्यमंत्री हेमन्‍त सोरेन का यह दूरगामी सोच पर आधारित फैसले भविष्य में हर वर्ग के हाथों काम और चेहरों पर मुस्‍कान लाने में मील-का पत्थर साबित होंगे।

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