सीएम चंपाई सोरेन : मूलवासी हित में अबुआ वीर अबुआ दिशोम अभियान एक महत्वपूर्ण अभियान. वनपट्टा आवेदनों को जानबूझकर न करें रद्द. अधिकारी दायित्वों का करें निर्वहन.
रांची : पूर्व सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में वन पट्टा दावों के निपटारे के लिए अबुआ वीर अबुआ दिशोम अभियान के तौर पर एक कारगर रोडमैप तैयार किया गया था. यह अभियान वन अधिकार अधिनियम 2006 को धरातल पर उतारने, वनपट्टा के आसरे वन क्षेत्र में निवासित आदिवासी-मूलवासी परिवारों की सामाजिक, आर्थिक और संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित कर राज्य के जल-जंगल-ज़मीन की लड़ाई के लिए शहीद महापुरुषों को सही मायने में सम्मान देने के दिशा में महत्वपूर्ण कदम था.

लेकिन राज्य का दुर्भाग्य रहा कि पूर्व सीएम के सभी प्रयासों को जेल और षड्यंत्र के आसरे समाप्त करने का सामंती प्रयास हुआ. तमाम उठा-पटक के बीच सीएम चम्पाई सोरेन के द्वारा उस दिशा में कदम बढ़ा दिया गया है. झारखंड के वन क्षेत्र में बसने वाले आदिवासी-मूलवासी को वन अधिकार अधिनियम के तहत हक-अधिकार प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. अबुआ वीर अबुआ दिशोम विषय पर आयोजित कार्यशाला में सीएम ने सरकार की स्पष्ट मंशा के संकेत दे दिए.
अबुआ दिशोम अभियान राज्य के लिए मील का पत्थर होगा साबित
सीएम सोरेन ने कहा अबुआ वीर, अबुआ दिशोम अभियान झारखण्ड के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. इसके तहत सरकार वन अधिकार अधिनियम को सरल और पारदर्शी बनाकर झारखंड के वन क्षेत्र में बसने वाले आदिवासी-मूलवासी को ग्राम सभा के अनुसार वनपट्टा प्रदान करने का मार्ग प्रसस्त करेगा. ग्राम सभा के अनुशंसा के अनुरूप वनपट्टा हेतु मिले आवेदन के तौर पर वनपट्टा उपलब्ध कराया जाएगा. राज्य सरकार अवश्य इस दिशा में आगे बढ़ते हुए जनपक्ष में सफलता हासिल करेगी.
सरकार इसके तहत केवल वन क्षेत्र के बासिंदों के बीच वनपट्टा वितरण ही नहीं करेगी उन्हें विकास के पहलुओं में जोड़ने का भी कार्य करेगी. सरकार इन्हें सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से मजबूत करेगी. सरकार जनभागीदारी से राज्य में व्यवस्था बनायेगी जहां ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के विकास में भेद-भाव नहीं होगा. झारखण्ड विकास के नए मॉडल का उदाहरण पेश करगा. वन अधिकार के प्रावधानों से सभी वाकिफ हैं, जरूरत है तो बस दृढ इच्छाशक्ति जागृत करने की.
जानबूझकर वनपट्टा से सम्बंधित आवेदन रद्द न हो
सीएम चम्पाई सोरेन ने स्पष्ट कहा कि वन अधिकार अधिनियम वर्ष 2006 के लागू हुए 18 साल हो चुके हैं. फिर भी वन क्षेत्र में रहने वाले परिवारों के अधिकार अब तक पूरी तरह से सुनिश्चित नहीं हुए हैं. राज्य के विभिन्न कार्यालयों में वनपट्टा के आवेदन रद्द हुए. यह आवेदन क्यों रद्द हुए हैं, अधिकारियों को जवाब जनता को देना पड़ेगा. अधिकारी वनपट्टा के आवेदनों को जानबूझकर रद्द करने का प्रयास करेंगे उन पर सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी. वन भूमि जनता का अधिकार है.
अबुआ वीर अबुआ दिशोम एक महत्वपूर्ण अभियान है इसे हल्के में नही लिया जाना चाहिए. इस महत्वपूर्ण अभियान के तहत वनपट्टा दावों के निपटारे के लिए राज्य सरकार द्वारा तैयार रोडमैप को हर हाल में अधिकारीयों द्वारा धरातल पर उतरना ही पड़ेगा. साथ ही हमें भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ईमानदारी के साथ करना पड़ेगा. तभी वन अधिकार अधिनियम कानून का लाभ सही मायने में आदिवासी और मूलवासी के परिवारों तक पहुंचाया जा सकेगा.