झारखण्ड : ‘अबुआ बीर दिशोम’ अभियान वनों पर निर्भर रहने वाले आदिवासी-दलित समेत सभी वर्गों को वनाधिकार पट्टा फिर मुहैया करेगा. सीएम की नीतियों की धमक नेपाल के आदिवासीयों तक पहुंची.
रांची : भारत में आदिवासी-दलित समेंत कई मूलवासी वर्ग सदियों से जंगलों में वास करती आयी है. लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार की नीतियों के अक्स में इन्हें विस्थापन का दंश झेलना पड़ा है. ज्ञात हो, भारतीय संविधान वन भूमि पर बसने वाले आदिवासी समेंत सभी स्थानीय मूल समुदायों को अधिकार प्रदान करती है. जिसके तहत उन्हें वन संसाधनों का उपयोग और प्रबंधन का अनुमति होता है. जिससे न केवल उनकी आजीविका में सुधार होता है, वन संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलता है.
वनाधिकार पट्टा वन प्रबंधन में स्थानीय वासियों की भागीदारी सुनिश्चित करता है. जिससे वन संसाधनों का अधिक जिम्मेदारी से उपयोग होता है. वनाधिकार पट्टा आदिवासी समेत अन्य मूलवासियों के अधिकारों की रक्षा करता है. उनकी वन भूमि से बेदखल होने का खतरा को भी कम करता है. लेकिन झारखण्ड प्रदेश में पूर्व की बीजेपी सरकार में इससे सम्बंधित कानूनों की न केवास्ल धज्जियां उडाई गयी. गिरिडीह समेत कई जिलों के वनाधिकार पट्टा रद्द कर मूल बासिन्दों कोविस्थापित किया गया.
झारखण्ड की मौजूदा हेमन्त सरकार में ‘अबुआ बीर दिशोम अभियान’ के तहत वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों को पुनः वनाधिकार पट्टा मुहैया कराने का मानवीय फैसला लिया गया है. ज्ञात हो झारखण्ड प्रदेश में वनाधिकार पट्टा मुहैया कराना एक जनहित पहल है. हेमन्त सरकार की यह पहल आदिवासी समेत अन्य मूलवासी वर्गों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लायेगा. यह उन्हें वन संसाधनों से लाभान्वित होने, वन प्रबंधन में भाग लेने और उनके अधिकारों को संरक्षण प्रदान करेगा.
सीएम हेमन्त के नीतियों की धमक से नेपाल के आदिवासी भी प्रभावित
झारखण्ड सीएम, हेमन्त सोरेन के जननीतियों से नेपाल के आदिवासी जनजाति महासंघ भी प्रभावित दिखे हैं. ज्ञात हो, आदिवासी जनजाति महासंघ, नेपाल के एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से मुलाकात भी की है. सीएम हेमन्त ने उनसे नेपाल के आदिवासी समुदाय की आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक स्थिति की जानकारी ली. सीएम से मुलाकात कर प्रतिनिधिमंडल उत्साहित दिखे और सीएम का आभार व्यक्त किये. प्रतिनिधिमंडल में नेपाल के पूर्व सांसद सूर्यादेव दास उराँव सहित अन्य उपस्थित थे.
अबुआ बीर दिशोम अभियान देगा मूलवासियों को वनाधिकार
सीएम हेमन्त के नेतृत्व में ‘अबुआ बीर दिशोम’ अभियान का शुभारंभ 06 नवंबर 2023 से होने जा रहा है. राज्य में इस व्यापक अभियान के आसरे वनों पर निर्भर आदिवासी, दलित समेत तमाम मूल वर्गों के परिवारों को सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जाएगा. ज्ञात हो, माहात्मा गाँधी की जयंती के शुभ अवसर पर राज्य के 30 हजार से अधिक ग्राम सभाओं ने भाग लिया था जहाँ उन्होंने जल, जंगल और जमीन और संसाधनों की रक्षा की शपथ ली थी.
प्रथम चरण में दिसंबर तक अभियान
वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अधिकार का उपयोग कर 03 अक्टूबर 2023 से 18 अक्टूबर 2023 तक ग्राम, अनुमण्डल एवं जिला स्तर पर वनाधिकार समिति का गठन एवं पुनर्गठन किया गया है. यह समिति वन पर निर्भर लोगों और वर्गों को वनाधिकार पट्टा देने हेतु उनके दावा पर अनुशंसा करेगी. अबुआ बीर दिशोम आभियान के क्रियान्वयन हेतु मोबाईल ऐप एवं वेबसाईट तैयार की गई है. जिसके तहत उन्हें वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जायेगा. अभियान के प्रथम चरण दिसंबर, 2023 तक संचालित होगा.
अबुआ बीर दिशोम अभियान की शुरुआत एक राज्यस्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला से होगी. इसके तहत सभी जिलों के उपायुक्तों और वन प्रमण्डल पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. साथ ही, ग्राम स्तर पर वन अधिकार समिति, अनुमंडल स्तरीय समिति एवं जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के सदस्यों को अभियान के सफल निष्पादन हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा. इस अभियान का लाभ अधिक लाभुकों को मिले इसके लिए विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रसार को गति प्रदान की जायेगी.