रामकृपाल कंस्ट्रक्शन रघुवर सरकार और नक्सलियों दोनों से जुड़े थे

झारखंड राज्य की प्रसिद्ध रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी, जो रघुवर सरकार के कार्यकाल में सबसे अधिक ठेके लेने के लिए जानी जाती थी। पूर्व मंत्री सरयू राय ने कंपनी पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाया था। सरयू राय ने इस कंपनी के अधिकारियों पर भाजपा के बड़े नेताओं के साथ मिली भगत होने का आरोप तक लगाया था। 

कई शिकायतों के बावजूद, तत्कालीन रघुवर सरकार द्वारा कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। 400 करोड़ के नए झारखंड विधानसभा भवन का निर्माण भी इसी कंपनी ने किया था। इस कंपनी का परिचय विधानसभा भवन निर्माण कार्य में तब के विपक्ष द्वारा उठाये गयी कई सवाल से मिलते है। यही कहानी झारखंड के दूसरे सबसे बड़े हाई कोर्ट निर्माण भी है। तमाम उदाहरण से या समझा जा सकता है कि कंपनी रघुवर सरकार के सरपरस्ती में ही फल फूल रही थी। 

एनआईए के छापे में रामकृपाल कंस्ट्रक्शन द्वारा छह लाख रुपये का भुगतान नक्सलियों को लेवी के रूप में करने का साक्ष्य मिले है। जांच एजेंसी को छापेमारी के दौरान साक्ष्य के तौर पर कई आपत्तिजनक दस्तावेज, कंप्यूटर हार्ड डिस्क, नक़दी किताबें और बैंक खातों के विवरण हाथ लगी हैं। 

रामकृपाल कंस्ट्रक्शन

एनआईए ने कंपनी के एक अधिकारी मनोज कुमार को गिरफ्तार किया, जो कि गिरिडीह सरिया का निवासी है, जो कि टेरर फंडिंग केस में शामिल था। एनआईए का कहना है कि मनोज कुमार न केवल आरकेएस कंस्ट्रक्शन कंपनी से बल्कि उस क्षेत्र में काम करने वाली अन्य कंपनियों से भी पैसा वसूल कर माओवादी संगठन तक पहुंचते थे।

एनआईए अधिकारियों के अनुसार, नक्सलियों ने कंपनियों से प्राप्त लेवी राशि से हथियार और कारतूस खरीदे हैं। जिनका इस्तेमाल सुरक्षा बलों के खिलाफ किया जा रहा है। एनआईए मामले के हर पहलू की गहराई से जांच कर रहा है। आगे की जांच से कई तथ्य सामने आ सकते हैं।

मसलन, झारखंड सरकार को मामले की गंभीरता से जांच करवानी चाहिए। क्योंकि जिस तरह से एक तरफ कंपनी के तार नक्सलियों से जुड़े हैं और दूसरी तरफ रघुवर सरकार से। कई चौंकाने वाले सबूत सामने आ सकते हैं।

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