684 करोड़ घोटाला का मुख्य अभियुक्त डॉ उदय शंकर अवस्थी प्रधानमंत्री के साथ मंच पर क्यों?

निशिकांत दुबे के आरोप को सच कह CBI ने 684 करोड़ के घोटाला का मुख्य अभियुक्त जिस डॉ उदय शंकर अवस्थी को बनाते है. कुछ ही समय में उसकी मित्रता योग्य भाजपा सांसद कैसे हुई? और अवस्थी पर CBI का शिकंजा ढीला क्यों पड़ा? बीजेपी आइडियोलॉजी का यह कैसा खेल?  

राँची : लाल किले से प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी द्वारा रासायनिक उर्वरकों पर हमला बोला गया था. पीएम मोदी ने इतिहास और केमिकल फ़र्टिलाइज़र की भूमिका पर मनन से प्राप्त ज्ञान के मद्देनजर कहा था कि किसान केमिकल फ़र्टिलाइज़र का इस्तेमाल न करें. जिससे देश में समझ बनी कि किसानों को ओर्गानिक खेती की कोई नयी पद्धति मिलेगी. ज्ञात हो, भारत में पहला रासायनिक खाद कारखाना की स्थापना वर्तमान में झारखण्ड के सिंदरी में सिंदरी फ़र्टिलाइजर एंड केमिकल लिमिटेड नाम से पब्लिक सेक्टर कंपनी के रूप में हुई थी. इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा 2 मार्च 1952 को किया गया था. 

1 जनवरी 1961 को सार्वजानिक क्षेत्र कंपनी फ़र्टिलाइज़र कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लि० का गठन हुआ. 1965 में हरित क्रांति की शुरुआत हुई. जिसने देश के दृश्य को बदल दिया था. लेकिन, गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी द्वरा, ‘सहकार से समृद्धि’ कार्यक्रम में इफको, कलोल में निर्मित नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन के दौरान दावा किया जाना कि उनकी सरकार उवर्रक की बोरी पर 3200 रुपए सब्सिडी देती है. जिससे किसानों को वह सिर्फ 300 रुपए में प्राप्त होती है. और एक बार फिर अपनी पीठ थपथपाते हुए योग्य प्रधानमंत्री द्वारा फर्टिलाइजर की समस्या, फर्टिलाइज़र की काला बाजारी को पूर्व की सरकारों के सर मढ़ दिया जाना, देश को असमंजस में डाल सकता है. 

निशिकान्त दूबे की मित्रता कैसे डॉ उदय शंकर अवस्थी से हुई?

‘सहकार से समृद्धि’ कार्यक्रम में इफको, कलोल में निर्मित नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र के उद्घाटन में डॉ उदय शंकर अवस्थी का नाम आना देश को चौकाता है. ज्ञात हो, इफको जैसे सबसे बड़ी सहकारी संस्था में डॉ उदय शंकर अवस्थी कई दशकों से कुंडली मार कर बैठे है. वर्तमान में यह प्रबंध निदेशक (CEO) के पद पर आसीन हैं. लेकिन, CBI के दस्तावेज बताते हैं कि यह शख्स 684 करोड़ के घोटाला का मुख्य अभियुक्त हैं. और इस प्रकरण में मजेदार पहलू यह है कि झारखण्ड के दुसरे युग्य नेता सह भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा अवस्थी पर घोटाला का आरोप लगाया गया था. जिसे CBI ने सच मानते हुए घोटाले का पर्दाफास किया. घटनाक्रम मोदी सरकार कार्यकाल की है.

CBI के दस्तावेज बताते हैं कि सब्सिडी घोटाले में 5 मुख्य अभियुक्तों में 3, डॉ उदय शंकर अवस्थी व उसके दोनों बेटे अमोल अवस्थी और अनुपम अवस्थी है. लेकिन दिलीप सांघवी जिसे अमित शाह का नजदीकी बताया जाता है, के चेयरमैन बनते ही CBI के शिकंजा डॉ उदय शंकर अवस्थी पर ढीली पड़ जाती है. और झारखण्ड के योग्य नेता निशिकान्त दूबे की मित्रता डॉ उदय शंकर अवस्थी से हो जाती है. जिसकी तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल होने लगते है. लेकिन, योग्य नेता के सर्वोच्य बिन्दु पर खड़े निशिकांत दुबे द्वारा अबतक नहीं बताया गया है कि आखिर इस यू टर्न का राज क्या है? कैसे यह संभव हुआ है? यह बीजेपी के आइडियोलॉजी की कैसी लीला है?

मनुवाद विचारधारा पर आधारित भाजपा आइडियोलॉजी की लीला अपरम्पार 

मसलन, मौजूदा दौर में दिखने वाले तमाम दृश्य बाल्मीकि कृत रामायण के उस चित्रण से मेल खाती है जहाँ एक मनुवादी प्रभु राम से कहता कि वह उन्हें कुछ बायेगा लेकिन शर्त है कि उन दोनों के बीच तीसरा न हो, और यदि तीसरा कोई सुनता है तो वह प्राण दंड का अधिकारी होगा. लक्ष्मण द्वारपाल बनते है. तभी दूसरा मनुवादी आता है जिसे प्रभु राम से तत्काल बात करनी थी. विवश होकर लक्ष्मण को प्रभु राम के पास जाना पड़ता है. और तीसरा मनुवादी प्रभु राम को सलाह देता है उसे लक्ष्मण को देश से बाहर निकालना होगा. अंतत लक्ष्मण को आत्महत्या करनी पड़ती है. राम भी लक्ष्मण-सीता वियोग में सरयू में प्राण त्याग देते हैं और मनुवादियों की मौज हो जाती है…

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