लगता है झारखण्ड राज्य के मंत्रियों को अपने पद की गरीमा का कोई ख्याल नहीं है। या तो ये नौसिखिए हैं या फिर इन्हें यहाँ की राजस्व का कोई फिकर नहीं है। पहले तो यह सरकार सोती रहती है फिर, रेत की तरह फिसलते वक़्त को देख कर आनन-फानन में करमटोली तालाब योजना का क्रियान्वन शरू कर देते है। जब प्रदेश की जनता हो-हल्ला मचाती है तो फिर ये कहते है कि योजना का शुद्धिकरण कर दिया गया है। मतलब एक ही काम के लिए कई दफा राज्य कोष का धन बर्बाद कर रहे हैं।
अब सरकार का कहना है कि राजधानी के पुराने तालाब में शुमार ‘करमटोली तालाब’ बर्बाद नहीं होगा। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद नगर विकास विभाग ने तालाब की डिजायन को रिवाइज्ड कराया है। चड्डा एंड एसोसिएट ने तालाब के सौंदर्यीकरण की डिजायन तैयार की है। प्रोजेक्ट भवन स्थित नगर विकास मंत्री के कार्यालय में गुरुवार को आर्किटेक्ट राजीव चड्डा ने सौंदर्यीकरण के लिए प्रस्तावित योजनाओं का प्रेजेंटेशन दिया।
वे बताते हैं कि कुल 4.04 एकड़ क्षेत्र में डेवलपमेंट का प्लान तैयार किया गया है। तालाब की लंबाई और चौड़ाई से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं जायेगी। तालाब के अंदर बनाई गई कंक्रीट की संरचना को हटाया जाएगा। तालाब के चारों ओर पौधारोपण किया जाएगा। विभाग के सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि पूर्व से प्रस्तावित टावर को छोटा करते हुए 2 फ्लोर का बनाया जायेगा, जिसकी दीवारें शीशे की होंगी। इसमें बैठकर शहर के लोग तालाब में लगे फ्लोटिंग फाउंटेन का मजा ले सकेंगे।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि यह सरकार यह सब पहले से ही क्यों नहीं ध्यान में रखती है? पहले से ही राज्य कोष की स्थिति दैनीय है। ऐसे में इस प्रकार का अतिरिक्त बोझ राजकीय कोष डाला जाएगा तो फिर राज्य के विकास का क्या होगा।क्या इस मौजूदा सरकार को इसका तनीक भी फिकर नहीं है।
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