10 लखिया इनामी नक्सली सरेंडर से भाजपा के सवालों को मिला करारा जबाव

भाजपा विधायक दल के बेतुके हवाई सवालों को 10 लखिया इनामी नक्सली के सरेंडर से न केवल मिला करारा जवाब, फिर से मुद्दाविहीन भी हुए 

रांची। बकोरिया कांड। बास्के हत्या कांड, गिरिडीह। झारखंड दामन के काले दाग। जिसके अक्स में गरीब बेजुबान की आह, परिवारों की सिसकियाँ सिमटी है। बहुत पुरानी नहीं भाजपा की पिछली डबल इंजन सरकार के किस्सों का सच भर है। जिसके नायक स्वयं रघुवर साहेब व सेनापति सांप धारी बाबा, डी के पाण्डेय रहे हैं। नक्सल ख़ात्मे के मातहत जिसका कार्यकाल बेकसूर ग़रीबों की बलि चढ़ाने का सच लिए हो। वह मानसिकता विपक्ष के रूप में बिगड़ती लॉ एंड ऑर्डर के मद्देनज़र बेतुके सवालों से सदन में मौजूदा सत्ता को घेरना चाहे। और सत्र शुरुआत से पहले उसके वह सवाल महत्त्वहीन हो जाए। तो परिस्थिति विपक्ष का मुद्दाविहीन होने का पोल खोल सकती।         

ज्ञात हो, केंद्र के अर्थशास्त्र ज्ञान के मद्देनज़र, मौजूदा दौर में भाजपा झारखंड में मुद्दाहीन है। राजधानी में बीते रविवार भाजपा विधायक दल में माथा-पच्ची के बाद, बिगड़ती लॉ एंड ऑर्डर के मद्देनज़र, हेमंत सरकार को नक्सल मुद्दे पर घेरने पर आम सहमति बनी। मुद्दों के अभाव में अथक प्रयास से तैयारियाँ हुई। लेकिन, इसी बीच खबर आयी कि 10 लखिया इनामी नक्सली, जीवन कंडुलना ने क़ानून के समक्ष खुद को सरेंडर कर दिया। जिसका आतंक से खूंटी, सरायकेला, चाईबासा और आसपास के इलाकों में सिहरन थी।

मसलन, जीवन कंडुलना का सरेंडर न केवल झारखंड सरकार व पुलिस प्रबंधन को कसौटी पर खरा उतारती है, भाजपा के बेतुके ढपोरशंखी हवाई सवालों का करारा जवाब भी दे सकती है। और फिर एक बार भाजपा जैसे विपक्ष को जायज मुद्दा टटोलने की चुनौती भी पेश कर सकती है। कास सत्ता के पास भी विपक्ष से सवाल पूछने की परम्परा होती, तो जनता के बीच कई राजनीतिक साज़िशों व भ्रामिक झूठ का पर्दाफ़ाश हो सकता था।   

10 लखिया इनामी नक्सली सरेंडर से चाईबासा इलाके में सक्रिय माओवादी दस्ते को लगा बड़ा झटका 

जीवन कंडुलना के सरेंडर से चाईबासा इलाके में सक्रिय माओवादी दस्ते को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि सारंडा के जंगली इलाके में जीवन ने रेड कॉरिडोर बना रखा था। ज्ञात हो कि जीवन कंडुलना की तलाश झारखंड पुलिस के अलावा ओडिशा पुलिस को भी थी। उक्त नक्सली के धड़-पकड़ के लिए झारखंड व ओडिशा पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन भी चलाया था। 

अपने शासनकाल का पाप भाजपा हेमंत शासन में केवल विरोध कर चाहती है धोना 

नेशनल क्राइम ब्यूरो के आकड़ों के सच की माने तो हेमंत सरकार में राज्य में आपराधिक घटनाओं में कमी आई है। लेकिन, प्रतीत होता है कि भाजपा लॉ एंड ऑर्डर के मामले में खुद के शासनकाल की समीक्षा कर सच मानने के बजाय, केवल विरोध कर अपने पाप को धोना चाहती है। 

ज्ञात हो मौजूदा दौर में गुमला कामडारा की घटना समेत अन्य तमाम वारदातें, जान पहचान व पारिवारिक मामलों के अंतर्गत हुई है। गठबंधन सरकार पिछली सरकार के भांति लीपापोती नहीं, बल्कि घटना के सफल उद्भेदन को अंजाम दे रही है। नेशनल क्राइम ब्यूरो के रिकॉर्ड के मुताबिक झारखंड पुलिस की तमाम सरकारों की तुलना में ज्यादा मुस्तैद हैं। पुलिस की साफ़ मंशा के साथ कार्रवाई का नतीजा हो सकता है। जहाँ नक्सली में भय व्याप्त हो रहा कि उसके समक्ष सरेंडर के अरिक्त अन्य कोई दूसरा मार्ग शेष नहीं है।

ग्रामीण झारखंड के युवाओं के विश्वास जीतने में सफल होती हेमंत सरकार 

झारखंड में नक्सल ख़ात्मे के मद्देनज़र हेमंत सरकार ने उसकी सोच पर प्रहार किया है। प्रभावित क्षेत्रों की जनता से विश्वास की डोर फिर से कायम व मजबूत करने के लिए सकारात्मक शुरुआत सरकार द्वारा कर दी गयी है। इस कड़ी में ग्रामीण युवाओं के विश्वास जीतने हेतु मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मंशा नीतियों में स्पष्ट झलकती है। जिसके अक्स में साफ़ दीखता है कि युवाओं के भटकाव की वजह सरकार और जनता के बीच बन चुकी दूरी है। सरकार सामुदायिक पुलिसिंग का सहारा लेते हुए खुद को ग्रामीण सुख-दुख जोड रही है। उनकी गरीबी से सरोकार बना उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही है। जो स्वागत योग्य कदम हो सकता है।

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