भ्रष्टाचार ने झारखण्ड में ली गरीब किसान की जान 

झारखंड राज्य में अबतक सुना-पढ़ा जा रहा था कि यहाँ के गरीब की मौत या तो  भूख के वजह से हो रही थी, या फिर बेरोज़गारी युवा डिप्रेशन के शिकार हों मौत को गले लगा रहे थे। लेकिन सत्र के आखरी दिन राजधानी राँची के चान्हो थाना में एक किसान लखन महतो ने मनरेगा के तहत खुदवाये गये कुआं का भुगतान नहीं होने की स्थिति में परेशान हो कुएँ में कूद कर आत्महत्या कर ली है। वह रांची जिला के चान्हो थाना क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाला पतरातू गांव का निवासी था। जबकि सरकार भ्रष्टाचार मुक्त झारखण्ड का बैनर शहर में लटकाकर अपनी पीठ खुद ही थपथपाती रही है। 

हालांकि, ग्रामीणों ने इस दुखद घटना की सूचना स्थानीय पुलिस को दी पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से शव को कुआं से बाहर निकाल कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है उस गाँव के ग्रामीणों का साफ़-साफ़ कहना है कि मृतक लखन महतो ने मनरेगा के तहत कुआं खुदवाया था। संबंधित कुएँ के राशि भुगतान हेतु वह कई महीने से प्रखंड कार्यालय के अधिकारियों के पास लगातार चक्कर काट रहा था, लेकिन भुगतान नहीं हों पा रही थीरकम भुगतान के सम्बन्ध में सरकारी बाबू के टाल-मटोल रवैये से वह मानसिक रूप से काफी परेशान हों चुका था लखन के परिवार में उसकी पत्नी, बूढ़ी मां व तीन बच्चे हैं।

बहरहाल, बेरोज़गार युवा, मज़दूरों-कर्मचारियों के आन्दोलन व छात्रों-किसानों-भूखों के मौत ने राज्य के मौजूदा सरकार के दावों-वादों व मंशा को पूरी तरह बेनकाब कर दिया कर दिया है यही कारण है कि सदन में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन द्वारा राज्य की समस्या से संबंधित सवालों पूछे जाने से सत्ता तिलमिला गयी और उनपर व्यक्तिगत टिप्पणी बैठी कहने को राज्य में खूब सरकारी योजनाओं पर कार्य हुआ है, लेकिन इसमें इतना ज़बरदस्त और दिव्य भ्रष्टाचार हुआ है क‍ि घोटालों ने आज़ाद भारत के सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिये।

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