बीजेपी सत्ता के झारखंड में 5 साल और जनता बेहाल

आज झारखंड में भाजपा का जो रूप देखा जा रहा है, वह बीसवीं सदी के यूरोप के फ़ासीवाद से मेल खाता मालूम पड़ता है। भिन्नता केवल यह है कि इन्होंने (बीजेपी सत्ता) जनवाद के आवरण को औपचारिक तौर पर हटाया नहीं हैं। इन्होंने इसके दायरे को संकुचित कर दिया है, जिससे जनवाद का भ्रम तो बरक़रार है लेकिन राज्य एक नग्न तानाशाही जैसी दौर से गुजर रही है। मौजूदा सरकार जिस वादे के बूते 2014 में सत्ता में आयी, उसे पूरा तो नहीं कि और ना ही इस दिशा में कुछ भी करती दिखी है 

हां अगर अपने कार्यकाल में रत्नगर्भा से भरपूर इस प्रदेश में कुछ करती दिखी तो केवल यहाँ के जल जंगल जमीन व अन्य बहुमूल्य संसाधनों को खुद व अपने चहेते पूंजीपति दोस्तों को फायदे के लिए लूटते-लूटाती अब भी ये अपने इस एजेंडा के परे कुछ और करती नहीं दिखती। समीक्षा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भाजपा ने बड़ी चालाकी से यहाँ कि जनता को झूठे सपने दिखाते हुए एक प्रवासी को मुख्यमंत्री बना दिया। जिसकी कार्यशैली ने अब इसके पीछे बीजेपी की मंशा को लोगों के बीच साफ़ कर दिया है 

झारखंड ख़बर ने इस सिलसिले में झारखंडवासियों के समक्ष भाजपा के पूरे शासनकाल का लेखा-जोखा निष्पक्षता से रखने का बीड़ा उठाया है। आशा है कि पाठकों को पसंद आएगी।  

बीजेपी सत्ता के CNT/SPT कानून के साथ छेड़-छाड़ 

बीजेपी सत्ता में आते ही सबसे पहले उन्होंने यहाँ की सुरक्षा कवच CNT/SPT कानून के साथ छेड़छाड़ का प्रयास किया इस बाहरी सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा और सिद्धो-कान्हो के अथक प्रयास से मिले इस सुरक्षा कवच को छलनी करने के लिए हर हथकंडे अपनाये लेकिन राज्य के तमाम विपक्ष व जनता के सामूहिक प्रयास ने उन्हें किसी तरह विफल किया असफल होने के बावजूद वे रुके नहीं बल्कि जबरन पीछे के दरवाजे से आकर अनीतिपूर्ण ढंग से भूमि अधिग्रहण और लैंड बैंक जैसे कानून में संशोधन कर डाला। इसके पीछे भाजपा का केवल एक ही मकसद मालूम पड़ता है कि ये यहाँ के किसानों, आदिवासियों, मूलवासियों और महिलाओं की जमीन छीन कर उन्हें बेसहारा व अनाथ करना चाहती है ताकि वे मजूबूर होकर उनके चहेते पूंजीपतियों को ज़मीन भी दे और गुलामी भी करे गोड्डा और राज्य के अनेक जगहों में उनके द्वारा जमीन की जबरन छिनतई इसी ओर तो इशारा करती है। …शेष अगले लेख में    

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