चमकी बुख़ार की वजह लीची नहीं बल्कि कुपोषण है- झारखंड एक कुपोषित राज्य  

पिछले दिनों पूरे देश में यह चर्चा आम थी कि चमकी बुख़ार ने मुज़फ़्फ़रपुर के 124 और वैशाली के 17 बच्चों को अपनी चपेट में ले लिया और सिलसिला जारी भी है, लेकिन सरकार क्रिकेट मैच के स्कोर जानने में व्यस्त है चमकी बुखार यानी एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (ए.ई.एस.), अबतक इस संक्रमण में लीची को इसका सबसे बड़ा संवाहक बताया या माना जा रहा था मीडिया भी इसी तथ्य को ज़ोरों पर प्रसारित कर रही थी लेकिन वास्तविकता तो कुछ और निकली कि ए.ई.एस. का लीची से कोई नाता नहीं, बल्कि कुपोषित बच्चों में इसका संक्रमण तेजी से फैलता है

रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के मेडिसीन विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विद्यापति ने बताया है कि एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुख़ार) का लीची से कोई नाता नहीं है यह मूलत: वायरल संक्रमण है जो कुपोषित बच्चों में तेजी से फैलता है। यह बीमारी वैसे कमजोर व कुपोषित बच्चे जिनकी उम्र के तुलना में वजन कम है और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उनको अपने चपेट में जल्दी लेता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग यह कह रहे हैं कि खाली पेट में लीची खाने से बच्चे ए.ई.एस. की चपेट में आ रहे हैं, तो यह केवल उनकी अनभिज्ञता है। एईएस से मरने वाले तमाम बच्चे कुपोषण के शिकार थे, साथ ही मरने वालों बच्चों में तकरीबन 80 फीसदी लड़कियाँ है।

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बहरहाल, यदि एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विद्यापति की बात सही है तो यह ख़बर झारखंड के लिए डराने वाली है। रिपोर्टों को खंगाला जाए तो पता चलता है कि झारखंड में लगभग 62 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं। जबकि इससे परे झारखंड सरकार द्वारा बीते 13 जनवरी को “महँगा” सौदा कह बच्चों के मिड डे मील थाली से अण्डों की संख्या घटाकर तीन से दो किया जाना झारखंड वासियों को महंगा न पड़ जाए। इसी बीच यदि यह चमकी बुख़ार (बीमारी) झारखंड का रुख करता है तो हमें पता है कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की क्या हालत है। ऐसे में प्रधान मंत्री जी आग्रह है, योग करने झारखंड आ ही रहे हैं, लगे हाथ रिम्स का भी दौरा कर लें!

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