झारखंड को भी अन्य विकसित देशों की भांति बैलेट की तरफ मुड़ना चाहिए
झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने प्रेस कांफ्रेंस कर, ईवीएम के बजाय बैलेट से चुनाव कराने के हेमंत सोरेन के बयान पर सफाई देते हुए कहा कि वे जनादेश का अपमान कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि हमें जनता पर भरोसा है जैसे मर्ज़ी हो तमाम विपक्ष चुनाव करा लें। वैसे भी तमाम राजनीतिक दलों में केवल भाजपा ही एक ऐसा दल है जो बैलेट से चुनाव के नाम पर ऐसे भड़कता है मानो किसी ने उसके दुखती रग पर हाथ फेर दिया हो। कहने को तो भाजपा पूरा इतिहास गिनवा देती है, लेकिन यह एक बार भी नहीं कहती कि हमलोग किसी भी पद्धति से चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
कांग्रेस की तरफ से पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी ईवीएम पर कई तरह के संदेह जताए हैं, उनका कहना है कि बिना आग के धुआं नहीं उठता। फिर पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने भी ईवीएम को लेकर गंभीर संदेह व्यक्त किया है। उन्होंने दो-टूक कहा कि ईवीएम के इस्तेमाल पर जनमत संग्रह होना चाहिए और वह जनमत संग्रह ईवीएम के बजाय मतपत्र से होना चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मेरा मानना है कि अमेरिका जैसे कई देश ईवीएम के बाद फिर से ‘मैनुअल’ (मतपत्र) मतदान कराने लगे हैं। इसलिए गंभीर संदेह के मद्देनजर भारतीय चुनाव आयोग व सरकार को भी मतपत्र की ओर लौटना चाहिए”।
EVM में टैमपरिंग हो सकती है?
ईवीएम पर बार-बार छेड़छाड़ का आरोप लग रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ईवीएम टैमपरिंग हो सकती है? इसका जवाब कि इंसान की बनाई कोई भी मशीन ऐसी नहीं है, जिसके साथ छेड़छाड़ नहीं हो सकती। कड़े सुरक्षा प्रबंध होने के बावजूद गुंजाइश बची रह जाती है। साल 2010 में टैमपरिंग पर अमेरिका स्थित मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने EVM से एक डिवाइस जोड़कर मोबाइल से टेक्स्ट मैसेज के जरिए इसके रिजल्ट को प्रभावित करके दिखाते हुए ईवीएम टैमपरिंग को साबित किया था। शोधकर्ताओं का कहना था कि इस डिस्प्ले और माइक्रोप्रोसेसर को मतदान और मतगणना के बीच बदला जा सकता है।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज चुनाव से पहले कई बार चुनौती दे चुके थे कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। उन्होंने इसके लिए मई 2017 में एक लाइव डेमो भी दिया था। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा था, “मैं चैलेंज करता हूँ कि हमें गुजरात चुनाव से पहले सिर्फ़ तीन घंटे के लिए ईवीएम मशीनें दे दें, उनको वोट नहीं मिलेगा। बीबीसी ने लोकसभा चुनाव के नतीजे को लेकर भारद्वाज से जानना चाहा कि इस बारे में वे क्या कहना चाहेंगे। भारद्वाज ने कहा, ”ये एक तकनीकी मामला है. इसके ऊपर किसी जांच और विश्लेषण के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
बहरहाल, ‘मशीनी में सुधार होना अच्छी बात है लेकिन अमरीका, जापान, जर्मनी, इसराइल जैसे हर विकसित देश पेपर बैलेट पर विश्वास करते हैं न कि इस तकनीति पर। क्योंकि मशीन के अंदर बहुत कुछ हो रहा होता है। अंदर क्या चल रहा है ये किसी को देखने को नहीं मिलता है, इसे एक तरह से ब्लैक बॉक्स कहा जा सकता है। मसलन, निष्पक्षता के दृष्टिकोण से हमें भी तकनीक के बजाय बैलेट पर विश्वास करना चाहिए।