आपदा हमेशा गरीबों के लिए अभिशाप बन कर आती है, और कोरोना तो वैश्विक महामारी है। यह बात अलग है कि लोग इस महामारी से लड़ने के लिए एक साथ खड़े हैं, लेकिन आज भी कई गरीब के घरों में चूल्हा तक नहीं जल पा रहा है।
ऐसा ही एक मामला गोमिया प्रखंड के ललपनिया पंचायत अंतर्गत अय्यर गांव का है।
सोहराय मांझी और उसकी पत्नी बसंती देवी के घर पिछले तीन दिनों से चूल्हा नहीं जला है। भूख से सोहराय मांझी का पेट सूख सा गया है, जबकि उसकी पत्नी का हाल बेहाल है। यदि भूख से उसकी मौत हो जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। सोहराय मांझी के पास किसी भी तरह का राशन कार्ड नही है न उसे पेंशन ही मिलता है। उसके दो बेटे हैं सुगन हांसदा और जितेंद हांसदा। गरीबी के कारण दोनों बाहर काम करते हैं। लॉकडाउन के कारण वे वापस घर नहीं लौट पाये। घर पर दोनों वृद्ध पति-पत्नी रहते हैं। पिछले तीन दिनों से जब वे घर से नहीं निकले, तब पंसस के पति एवं सामाजिक कार्यकर्ता अनिल हांसदा उसके घर जाकर देखा तो पता चला कि तीन दिनों से वे भूखे हैं। तत्काल उन्हें दाल भात केंद्र से खिचड़ी लाकर खिलाया गया है।