[ad_1]
व्यक्तिवाद या हर व्यक्ति के भीतर आंतरिक मूल्य जोहने वाली धारणा ने सदियों से सामाजिक संगठनों, अर्थव्यवस्था और न्याय के बारे में अपने विचार रेखांकित किये हैं. हालांकि, हाल में व्यक्ति के मौलिक अधिकार व उसकी स्वतंत्रता काफ़ी मुश्किलों में आ गयी है. पश्चिम में व्यक्तिवाद प्रबोधन (पुनर्जागरण) से उपजा है. यह व्यक्ति के नैतिक […]
The post कोरोना बाद : चौकस न रहे तो ‘व्यक्तिवाद’ के ताबूत की आख़िरी कील बनेगी महामारी appeared first on MediaVigil.
[ad_2]
Source link